सिल बट्टा का विज्ञान :
प्राचीन भारत के ऋषियों ने भोजन विज्ञानं, माता और बहनों की स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए सिल बट्टा का अविष्कार किया ! यह तकनीक का विकास समाज की प्रगति और परियावरण की रक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया। आधुनिक काल में भी सिल बट्टे
का प्रयोग बहुत लाभकारी है -
१. सिल बट्टा पत्थर से बनता है, पत्थर में सभी प्रकार की खनिजों की भरपूर मात्रा होती है, इसलिए सिल बट्टे से पिसा हुआ मसाले से बना भोजन का स्वाद सबसे उत्तम होता है।
२. सिल बट्टे में मसाले पिसते वक्त जो व्यायाम होता है उससे पेट बाहर नही निकलता और जिम्नासियम का खर्चा बचता है।
३. माताए और बहने जब सिल बट्टे का प्रयोग करते है तो उनके यूटेरस का व्यायाम होता है जिससे कभी सिजेरियन डिलीवरी नही होती, हमेशा नोर्मल डिलीवरी होती है।
४. सिल बट्टे का प्रयोग करने से मिक्सर चलाने की बिजली का खर्चा भी बचता है।
प्राचीन भारत के ऋषियों ने भोजन विज्ञानं, माता और बहनों की स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए सिल बट्टा का अविष्कार किया ! यह तकनीक का विकास समाज की प्रगति और परियावरण की रक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया। आधुनिक काल में भी सिल बट्टे
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१. सिल बट्टा पत्थर से बनता है, पत्थर में सभी प्रकार की खनिजों की भरपूर मात्रा होती है, इसलिए सिल बट्टे से पिसा हुआ मसाले से बना भोजन का स्वाद सबसे उत्तम होता है।
२. सिल बट्टे में मसाले पिसते वक्त जो व्यायाम होता है उससे पेट बाहर नही निकलता और जिम्नासियम का खर्चा बचता है।
३. माताए और बहने जब सिल बट्टे का प्रयोग करते है तो उनके यूटेरस का व्यायाम होता है जिससे कभी सिजेरियन डिलीवरी नही होती, हमेशा नोर्मल डिलीवरी होती है।
४. सिल बट्टे का प्रयोग करने से मिक्सर चलाने की बिजली का खर्चा भी बचता है।
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