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Apr 19, 2014

पैरों से पता चल जाता है कौन है कैसा इंसान

पैरों से पता चल जाता है कौन है कैसा इंसान....................
==========================================
यदि आप किसी व्यक्ति के स्वभाव और आदतों के विषय में जानना चाहते हैं तो यहां एक विधि बताई जा रही है। इस विधि के अनुसार किसी भी व्यक्ति के पैरों का शेप देखकर भी स्वभाव मालूम किया जा सकता है। हर व्यक्ति के पैरों का शेप अलग होता है। यहां पैरों के पांच प्रकार के शेप्स का वर्णन किया जा रहा है।

आप इन शेप्स में से अपने पैर का शेप मैच करके स्वभाव से जुड़ी खास बातें जान सकते हैं। इसी प्रकार आप दूसरों के पैरों का शेप देखकर उनके विषय में भी काफी कुछ समझ सकते हैं।

ज्योतिष के अंतर्गत शरीर के अंगों और लक्षणों के देखकर व्यक्तित्व के साथ भविष्य बताने की विधि को सामुद्रिक शास्त्र कहा जाता है। ये ज्योतिष का अभिन्न अंग है और इस शास्त्र का इतिहास भी काफी प्राचीन है। सामुद्रिक विद्या के अनुसार मनुष्य के सिर से लेकर पैर तक हर अंग के लिए विशेष लक्षण बताए गए हैं। अंगों की बनावट, आकार और रंग से व्यक्तित्व के रहस्य मालूम होते हैं और इनसे भविष्य की जानकारी भी मिलती है। किसी भी व्यक्ति के पैरों का शेप देखकर भी आसानी से बताया जा सकता है कि स्त्री या पुरुष व्यवहार, आचार-विचार और कार्यक्षेत्र में कैसा है।

No. 1 दूसरों पर हावी होने का स्वभाव
==========================================
जिन लोगों के पैरों में अंगूठे से घटते क्रम में उंगलियां होती हैं, वे लोग दूसरों पर हावी होने का प्रयास करते हैं। ऐसे पैर का शेप व्यक्ति को अधिकार जताने वाला बनाता है। इस प्रकार के पैर वाले लोग यही चाहते हैं कि हर जगह उन्हें पूरा मान-सम्मान मिले और सभी उनकी बात का अक्षरश: पालन करें।
यदि घर-परिवार या समाज में कोई व्यक्ति इनकी इच्छा के अनुसार नहीं चलता है तो इन्हें गुस्सा आता है। इस प्रकार के पैर होते हैं तो व्यक्ति अपने जीवन साथी पर आवश्यकता से अधिक हावी रहता हैं।

No.2 कठिन परिश्रम करने वाले लोग
=========================================
जिन लोगों के पैर में अंगूठा और उसके पास की दो उंगलियां बराबर हों और शेष उंगलियां छोटी हों तो व्यक्ति कठिन परिश्रम करने वाला होता है। ऐसे लोग अपने श्रम के बल पर कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं। श्रम के बल पर ही इन्हें मान-सम्मान भी प्राप्त होता है। ऐसे पैर वाले इंसान दूसरों के कार्य की सराहना भी करते हैं और इन्हें कर्मशील लोग विशेष रूप से पसंद होते हैं।
इस प्रकार के पैर का शेप होने पर व्यक्ति घर-परिवार में भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह अच्छी तरह से करता है। इन्हें श्रम के बल पर ही कई उपलब्धियां हासिल होती हैं।

No. 3 अद्धुत ढंग से करते हैं कार्य
==========================================
जिन लोगों के पैरों में अंगूठे के पास वाली उंगली अधिक बड़ी होती हैं और शेष उंगलियां छोटी होती हैं, वे लोग किसी भी काम को यूनिक तरीके से करना पसंद करते हैं। कार्यों के संबंध में इनकी प्लानिंग बहुत अलग और श्रेष्ठ होती है। अपनी योजनाओं के बल इन्हें विशेष स्थान भी मिलता है। घर-परिवार में भी इन लोगों को विशेष सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं।

No. 4 शांति प्रिय होते हैं ये लोग
==========================================
जिन लोगों के पैर में अंगूठा लंबा और शेष उंगलियां छोटी हों और उंगलियों की लंबाई बराबर हो तो व्यक्ति कूल माइंड होता है। इन्हें किसी भी काम को ठंडे दिमाग से करना पसंद होता है। ये लोग कभी भी एकदम आवेश में नहीं आते हैं। ये लोग विरोधियों पर शांति के साथ ही विजय प्राप्त करने वाले होते हैं। शांति प्रिय होने के कारण ये लोग कभी-कभी आलसी भी हो जाते हैं। इसी आदत की वजह से कार्यों में देरी भी हो सकती है।

No. 5 ऊर्जावान होते हैं ऐसे लोग
=======================================
जिन लोगों के पैरों में अंगूठे के पास वाली उंगली अधिक लंबी, उसके बाद दूसरे उंगली थोड़ी छोटी और शेष उंगलियां और छोटी हों तो व्यक्ति ऊर्जावान होता है। आमतौर ऐसे लोग क्रेजी होते हैं। ये किसी भी काम को पूरे जोश और ऊर्जा के साथ पूरा करते हैं। क्रेजी होने की वजह से इन्हें पागलपन और मस्ती करना भी काफी पसंद होता है। ये लोग जीवन का पूरी तरह आनंद लेते हैं। हमेशा प्रसन्न रहते हैं और दूसरों को खुश रखने का प्रयास करते हैं।

जानकारी आपको कैसी लगी अवश्य बताये ??
पैरों से पता चल जाता है कौन है कैसा इंसान....................
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यदि आप किसी व्यक्ति के स्वभाव और आदतों के विषय में जानन...ा चाहते हैं तो यहां एक विधि बताई जा रही है। इस विधि के अनुसार किसी भी व्यक्ति के पैरों का शेप देखकर भी स्वभाव मालूम किया जा सकता है। हर व्यक्ति के पैरों का शेप अलग होता है। यहां पैरों के पांच प्रकार के शेप्स का वर्णन किया जा रहा है।
आप इन शेप्स में से अपने पैर का शेप मैच करके स्वभाव से जुड़ी खास बातें जान सकते हैं। इसी प्रकार आप दूसरों के पैरों का शेप देखकर उनके विषय में भी काफी कुछ समझ सकते हैं।
ज्योतिष के अंतर्गत शरीर के अंगों और लक्षणों के देखकर व्यक्तित्व के साथ भविष्य बताने की विधि को सामुद्रिक शास्त्र कहा जाता है। ये ज्योतिष का अभिन्न अंग है और इस शास्त्र का इतिहास भी काफी प्राचीन है। सामुद्रिक विद्या के अनुसार मनुष्य के सिर से लेकर पैर तक हर अंग के लिए विशेष लक्षण बताए गए हैं। अंगों की बनावट, आकार और रंग से व्यक्तित्व के रहस्य मालूम होते हैं और इनसे भविष्य की जानकारी भी मिलती है। किसी भी व्यक्ति के पैरों का शेप देखकर भी आसानी से बताया जा सकता है कि स्त्री या पुरुष व्यवहार, आचार-विचार और कार्यक्षेत्र में कैसा है।
No. 1 दूसरों पर हावी होने का स्वभाव
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जिन लोगों के पैरों में अंगूठे से घटते क्रम में उंगलियां होती हैं, वे लोग दूसरों पर हावी होने का प्रयास करते हैं। ऐसे पैर का शेप व्यक्ति को अधिकार जताने वाला बनाता है। इस प्रकार के पैर वाले लोग यही चाहते हैं कि हर जगह उन्हें पूरा मान-सम्मान मिले और सभी उनकी बात का अक्षरश: पालन करें।
यदि घर-परिवार या समाज में कोई व्यक्ति इनकी इच्छा के अनुसार नहीं चलता है तो इन्हें गुस्सा आता है। इस प्रकार के पैर होते हैं तो व्यक्ति अपने जीवन साथी पर आवश्यकता से अधिक हावी रहता हैं।
No.2 कठिन परिश्रम करने वाले लोग
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जिन लोगों के पैर में अंगूठा और उसके पास की दो उंगलियां बराबर हों और शेष उंगलियां छोटी हों तो व्यक्ति कठिन परिश्रम करने वाला होता है। ऐसे लोग अपने श्रम के बल पर कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं। श्रम के बल पर ही इन्हें मान-सम्मान भी प्राप्त होता है। ऐसे पैर वाले इंसान दूसरों के कार्य की सराहना भी करते हैं और इन्हें कर्मशील लोग विशेष रूप से पसंद होते हैं।
इस प्रकार के पैर का शेप होने पर व्यक्ति घर-परिवार में भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह अच्छी तरह से करता है। इन्हें श्रम के बल पर ही कई उपलब्धियां हासिल होती हैं।
No. 3 अद्धुत ढंग से करते हैं कार्य
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जिन लोगों के पैरों में अंगूठे के पास वाली उंगली अधिक बड़ी होती हैं और शेष उंगलियां छोटी होती हैं, वे लोग किसी भी काम को यूनिक तरीके से करना पसंद करते हैं। कार्यों के संबंध में इनकी प्लानिंग बहुत अलग और श्रेष्ठ होती है। अपनी योजनाओं के बल इन्हें विशेष स्थान भी मिलता है। घर-परिवार में भी इन लोगों को विशेष सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
No. 4 शांति प्रिय होते हैं ये लोग
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जिन लोगों के पैर में अंगूठा लंबा और शेष उंगलियां छोटी हों और उंगलियों की लंबाई बराबर हो तो व्यक्ति कूल माइंड होता है। इन्हें किसी भी काम को ठंडे दिमाग से करना पसंद होता है। ये लोग कभी भी एकदम आवेश में नहीं आते हैं। ये लोग विरोधियों पर शांति के साथ ही विजय प्राप्त करने वाले होते हैं। शांति प्रिय होने के कारण ये लोग कभी-कभी आलसी भी हो जाते हैं। इसी आदत की वजह से कार्यों में देरी भी हो सकती है।
No. 5 ऊर्जावान होते हैं ऐसे लोग
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जिन लोगों के पैरों में अंगूठे के पास वाली उंगली अधिक लंबी, उसके बाद दूसरे उंगली थोड़ी छोटी और शेष उंगलियां और छोटी हों तो व्यक्ति ऊर्जावान होता है। आमतौर ऐसे लोग क्रेजी होते हैं। ये किसी भी काम को पूरे जोश और ऊर्जा के साथ पूरा करते हैं। क्रेजी होने की वजह से इन्हें पागलपन और मस्ती करना भी काफी पसंद होता है। ये लोग जीवन का पूरी तरह आनंद लेते हैं। हमेशा प्रसन्न रहते हैं और दूसरों को खुश रखने का प्रयास करते हैं।

Apr 18, 2014

पुरी में जगन्नाथ मंदिर केे कुछ आश्चर्यजनक तथ्य

पुरी में जगन्नाथ मंदिर केे कुछ आश्चर्यजनक तथ्य:-

1. मन्दिर के ऊपर स्थापित ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।

2. पुरी में किसी भी स्थान से आप मन्दिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा।

3. सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है, और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है ।

4. पक्षी या विमानों को मंदिर के ऊपर उड़ते हुए नहीं पायेगें।

5. मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है ।

6. मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती, चाहे हजार लोगों से 20 लाख लोगों को खिला सकते हैं ।

7. मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखा जाता है और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है । इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है।

8. मन्दिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि नहीं सुन सकते, आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें जब आप इसे सुन सकते हैं, इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है।

साथ में यह भी जाने:-
-----------------

मन्दिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है।

प्रति दिन सांयकाल मन्दिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़ कर बदला जाता है।

मन्दिर का क्षेत्रफल चार लाख वर्ग फिट में है।

मन्दिर की ऊंचाई 214 फिट है।

विशाल रसोई घर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाने वाले महाप्रसाद का निर्माण करने हेतु 500 रसोईये एवं उनके 300 सहायक-सहयोगी एक साथ काम करते है।

हमारे पूर्वज कितने बढे इंजीनियर रहें होंगे 

अपनी भाषा अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता पर गर्व करो 
गर्व से कहो हम हिन्दुस्तानी है 

ॐ ॐ
पुरी में जगन्नाथ मंदिर केे कुछ आश्चर्यजनक तथ्य:-
1. मन्दिर के ऊपर स्थापित ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
2. पुरी में किसी भी स्थान से आप मन्दिर के ...ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा।
3. सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है, और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है ।
4. पक्षी या विमानों को मंदिर के ऊपर उड़ते हुए नहीं पायेगें।
5. मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है ।
6. मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती, चाहे हजार लोगों से 20 लाख लोगों को खिला सकते हैं ।
7. मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखा जाता है और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है । इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है।
8. मन्दिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि नहीं सुन सकते, आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें जब आप इसे सुन सकते हैं, इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है।
साथ में यह भी जाने:-
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मन्दिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है।
प्रति दिन सांयकाल मन्दिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़ कर बदला जाता है।
मन्दिर का क्षेत्रफल चार लाख वर्ग फिट में है।
मन्दिर की ऊंचाई 214 फिट है।
विशाल रसोई घर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाने वाले महाप्रसाद का निर्माण करने हेतु 500 रसोईये एवं उनके 300 सहायक-सहयोगी एक साथ काम करते है।
हमारे पूर्वज कितने बढे इंजीनियर रहें होंगे
अपनी भाषा अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता पर गर्व करो
गर्व से कहो हम हिन्दुस्तानी है
ॐ ॐ
 

Apr 14, 2014

सिल बट्टा का विज्ञान :

सिल बट्टा का विज्ञान :
प्राचीन भारत के ऋषियों ने भोजन विज्ञानं, माता और बहनों की स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए सिल बट्टा का अविष्कार किया ! यह तकनीक का विकास समाज की प्रगति और परियावरण की रक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया। आधुनिक काल में भी सिल बट्टे
का प्रयोग बहुत लाभकारी है -
१. सिल बट्टा पत्थर से बनता है, पत्थर में सभी प्रकार की खनिजों की भरपूर मात्रा होती है, इसलिए सिल बट्टे से पिसा हुआ मसाले से बना भोजन का स्वाद सबसे उत्तम होता है।
२. सिल बट्टे में मसाले पिसते वक्त जो व्यायाम होता है उससे पेट बाहर नही निकलता और जिम्नासियम का खर्चा बचता है।
३. माताए और बहने जब सिल बट्टे का प्रयोग करते है तो उनके यूटेरस का व्यायाम होता है जिससे कभी सिजेरियन डिलीवरी नही होती, हमेशा नोर्मल डिलीवरी होती है।
४. सिल बट्टे का प्रयोग करने से मिक्सर चलाने की बिजली का खर्चा भी बचता है।

मित्रों,
श्री राजीव दीक्षित जी के एक व्याख्यान में चूने के गुणों
और सेवन के लाभ का वर्णन किया है
- चूना जो पान में लगा के खाया जाता है , उसकी एक डिब्बी ला कर घर में रखे .
- यह सत्तर प्रकार की बीमारियों को ठीक कर देता है . गेहूँ क
े दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी पीलिया ठीक हो जाता है
- चूना नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है - अगर किसी के शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल डेढ़ साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे . जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उन्हें भी इस चूने का सेवन करना चाहिए .
- विद्यार्थीओ के लिए चूना बहुत अच्छा है जो लम्बाई बढाता है - गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिला के खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिला के या पानी में मिला के लिया जा सकता है - इससे लम्बाई बढने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छी होती है । जिन बच्चों की बुद्धि कम है ऐसे मतिमंद बच्चों के लिए सबसे अच्छी दवा है चूना . जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करता है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे ।
- बहनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अच्छी दवा है चूना । मेनोपौज़ की सभी समस्याओं के लिए गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना चाहिए . इससे ओस्टीओपोरोसिस होने की संभावना भी नहीं रहती .
- जब कोई माँ गर्भावस्था में है तो चूना रोज खाना चाहिए क्योंकि गर्भवती माँ को सबसे ज्यादा केल्शियम की जरुरत होती है और चूना केल्शियम का सबसे बड़ा भंडार है . गर्भवती माँ को चूना खिलाना चाहिए अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फायदे होंगे - पहला फायदा होगा के माँ को बच्चे के जनम के समय कोई तकलीफ नही होगी और नॉर्मल डीलिवरी होगी , दूसरा बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हृष्ट पुष्ट और तंदुरुस्त होगा , तीसरा फ़ायदा वो बच्चा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया , और चौथा सबसे बड़ा लाभ है वो बच्चा बहुत होशियार होता है बहुत Intelligent और Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा होता है .
- चूना घुटने का दर्द ठीक करता है , कमर का दर्द ठीक करता है , कंधे का दर्द ठीक करता है, एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis वो चुने से ठीक होता है . कई बार हमारे रीढ़ की हड्डी में जो मनके होते है उसमे दूरी बढ़ जाती है Gap आ जाता है जिसे ये चूना ही ठीक करता है . रीढ़ की हड्डी की सब बीमारिया चूने से ठीक होती है . अगर हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे ज्यादा चूने में है . इसके लिए चूने का सेवन सुबह खाली पेट करे .
- अगर मुंह में ठंडा गरम पानी लगता है तो चूना खाने से बिलकुल ठीक हो जाता है , मुंह में अगर छाले हो गए है तो चूने का पानी पिने से तुरन्त ठीक हो जाता है । शरीर में जब खून कम हो जाये तो चूना जरुर लेना चाहिए , एनीमिया है खून की कमी है उसकी सबसे अच्छी दवा है ये चूना . गन्ने के रस में , या संतरे के रस में , नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में डाल कर चूना ले . अनार के रस में चूना पिने से खून बहुत बढता है , बहुत जल्दी खून बनता है - एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चूना सुबह खाली पेट ले .
- भारत के जो लोग चूने से पान खाते है, बहुत होशियार है और वे महर्षि वाग्भट के अनुयायी है . पर पान बिना तम्बाखू , सुपारी और कत्थे के ले . तम्बाखू ज़हर है और चूना अमृत है . कत्था केन्सर करता है, पान में सौंठ , इलायची , लौंग , केसर , सौंफ , गुलकंद , चूना , कसा हुआ नारियल आदि डाल के खाए .
- अगर घुटने में घिसाव आ गया हो और डॉक्टर कहे के घुटना बदल दो तो भी जरुरत नही चूना खाते रहिये और हरसिंगार ( पारिजातक या प्राजक्ता ) के पत्ते का काढ़ा पीजिये , घुटने बहुत अच्छे काम करेंगे । राजीव भाई कहते है चूना खाइए पर चूना लगाइए मत किसको भी .ये चूना लगाने के लिए नही है खाने के लिए है ; आजकल हमारे देश में चूना लगाने वाले बहुत है पर ये भगवान ने खाने के लिए दिया है
अपना देश अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपनी भाषा अपना गौरव
वन्देमातरम्

तुलसी के फायदे

आइये जानते हैं तुलसी के फायदे...
1. तुलसी रस से बुखार उतर जाता है। इसे पानी में मिलाकर हर दो-तीन घंटे में पीने से बुखार कम हो जाता है।
2. कई आयुर्वेदिक कफ सिरप में तुलसी का इस्तेमाल अनिवार्य है।यह टी.बी,ब्रोंकाइटिस और दमा जैसे रोंगो के लिए भी फायदेमंद है।
3. जुकाम में इसके सादे पत्ते खाने से भी फायदा होता है।
4. सांप या बिच्छु के काटने पर इसकी पत्तियों का रस,फूल और जडे विष नाशक का काम करती हैं।
5. तुलसी के तेल में विटामिन सी,कै5रोटीन,कैल्शियम और फोस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं।
6. साथ ही इसमें एंटीबैक्टेरियल,एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण भी होते हैं।
7. यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।साथ ही यह पाचन क्रिया को भी मज़बूत करती हैं।
8. तुलसी का तेल एंटी मलेरियल दवाई के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। एंटीबॉडी होने की वजह से यह हमारी इम्यूनिटी भी बढा देती है।
9. तुलसी के प्रयोग से हम स्वास्थय और सुंदरता दोनों को ही ठीक रख सकते हैं।
सावधानी :
फायदे जानने के बाद तुलसी के सेवन में अति कर देना नुकसानदायक साबित होगा। क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए दिन भर में 10-12 पत्तों का ही सेवन करना चाहिए। खासतौर पर महिलाओं के लिए भले ही तुलसी एक वरदान की तरह है लेकिन फिर भी एक दिन में पांच तुलसी के पत्ते पर्याप्त हैं। हां, इसका सेवन छाछ या दही के साथ करने से इसका प्रभाव संतुलित हो जाता है। हालांकि यह आर्थराइटिस, एलर्जी, मैलिग्नोमा, मधुमेह, वायरल आदि रोगों में फायदा पहुंचाती है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन का ध्यान रखना जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान अगर दर्द ज्यादा होता है तब तुलसी के काढे से फायदा पहुंच सकता है। इसमे तुलसी के पत्तो को रात भर पानी मे भिगो दें और सुबह उसे क्रश करके चीनी के साथ खाएं ब्रेस्ट- फीडिंग के दौरान भी तुलसी का काढा फायदेमंद होता है। इसके लिए बीस ग्राम तुलसी का रस और मकई के पत्तों रस मिलाएं, इसमें दस ग्राम अश्वगंधा रस और दस ग्राम शहद मिला कर खाएं। तुलसी बच्चेदानी को स्वास्थ रखने के लिए भी सहायक है। हां, एक बात ध्यान रहे कि आपके स्वास्थ पर तुलसी के अच्छे और बुरे दोनों प्रभाव पड सकते हैं इसलिए महिलाओं के लिए हो या बच्चों के लिए, बिना आयुर्वेदाचार्य से परामर्श लिए इसका इस्तेमाल न करे।
ध्यान रहे तुलसी पूजनीय हें , इसका अपमान / अनादर न करें।

कुसंस्कारो का त्याग , तभी सच्चे सुख और आनन्द की प्राप्ति

एक बार एक स्वामी जी भिक्षा माँगते हुए एक घर के सामने खड़े हुए और उन्होंने आवाज लगायी, भीक्षा दे दे माते!!
घर से महिला बाहर आयी। उसनेउनकी झोली मे भिक्षा डाली और कहा, “महात्माजी, कोई उपदेश दीजिए!”
स्वामीजी बोले, “आज नहीं, कल दूँगा।” दूस
रे दिन स्वामीजी ने पुन: उस घर के सामने आवाज दी – भीक्षा दे दे माते!!
उस घर की स्त्री ने उस दिन खीर बनायीं थी, जिसमे बादाम- पिस्ते भी डाले थे, वह खीर का कटोरा लेकर बाहर आयी। स्वामी जी ने अपना कमंडल आगे कर दिया।
वह स्त्री जब खीर डालने लगी, तो उसने देखा कि कमंडल में गोबर और कूड़ा भरा पड़ाहै।
उसके हाथ ठिठक गए। वह बोली, “महाराज ! यह कमंडल तो गन्दा है।”
स्वामीजी बोले, “हाँ, गन्दा तो है, किन्तु खीर इसमें डाल दो।”
स्त्री बोली, “नहीं महाराज,तब तो खीर ख़राब हो जायेगी । दीजिये यह कमंडल, में इसे शुद्ध कर लाती हूँ।”
स्वामीजी बोले, मतलब जब यह कमंडल साफ़ हो जायेगा, तभी खीर डालोगी न?” स्त्री ने कहा : “जी महाराज !”
स्वामीजी बोले, “मेरा भी यही उपदेश है। मन में जब तक चिन्ताओ का कूड़ा-कचरा और बुरे संस्करो का गोबर भरा है, तब तक उपदेशामृत का कोई लाभ न होगा।
यदि उपदेशामृत पान करना है,तो प्रथम अपने मन को शुद्ध करना चाहिए, कुसंस्कारो का त्याग करना चाहिए, तभी सच्चे सुख और आनन्द की प्राप्ति होगी।