रामायण की किन चौपाइयों से दूर होती हैं घर या काम की कौन सी परेशानियां?
1. सिरदर्द या दिमाग की कोई भी परेशानी दूर करने के लिए-
हनुमान अंगद रन गाजे। हाँक सुनत रजनीचर भाजे।।
2. नौकरी पाने के लिए -
बिस्व भरण पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।
धन-दौलत, सम्पत्ति पाने के लिए -
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।
3. पुत्र पाने के लिए -
प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।
4. शादी के लिए -
तब जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साजि संवारि कै।
मांडवी श्रुतकीरति उर्मिला, कुँअरि लई हँकारि कै॥
5. खोई वस्तु या व्यक्ति पाने के लिए -
गई बहोर गरीब नेवाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू।।
6. पढ़ाई या परीक्षा में कामयाबी के लिए-
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥
7. जहर उतारने के लिए -
नाम प्रभाउ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।
8. नजर उतारने के लिए -
स्याम गौर सुंदर दोउ जोरी। निरखहिं छबि जननीं तृन तोरी।।
9. हनुमानजी की कृपा के लिए -
सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपनें बस करि राखे रामू।।
10. यज्ञोपवीत पहनने व उसकी पवित्रता के लिए -
जुगुति बेधि पुनि पोहिअहिं रामचरित बर ताग।
पहिरहिं सज्जन बिमल उर सोभा अति अनुराग।।
11. सफल व कुशल यात्रा के लिए -
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदयँ राखि कोसलपुर राजा॥
12. शत्रुता मिटाने के लिए -
बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई॥
13. सभी तरह के संकटनाश या भूत बाधा दूर करने के लिए -
प्रनवउँ पवन कुमार,खल बन पावक ग्यान घन।
जासु ह्रदयँ आगार, बसहिं राम सर चाप धर॥
14. बीमारियां व अशान्ति दूर करने के लिए -
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज काहूहिं नहि ब्यापा॥
15. अकाल मृत्यु भय व संकट दूर करने के लिए -
नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहि
1. सिरदर्द या दिमाग की कोई भी परेशानी दूर करने के लिए-
हनुमान अंगद रन गाजे। हाँक सुनत रजनीचर भाजे।।
2. नौकरी पाने के लिए -
बिस्व भरण पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।
धन-दौलत, सम्पत्ति पाने के लिए -
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।
3. पुत्र पाने के लिए -
प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।
4. शादी के लिए -
तब जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साजि संवारि कै।
मांडवी श्रुतकीरति उर्मिला, कुँअरि लई हँकारि कै॥
5. खोई वस्तु या व्यक्ति पाने के लिए -
गई बहोर गरीब नेवाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू।।
6. पढ़ाई या परीक्षा में कामयाबी के लिए-
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥
7. जहर उतारने के लिए -
नाम प्रभाउ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।
8. नजर उतारने के लिए -
स्याम गौर सुंदर दोउ जोरी। निरखहिं छबि जननीं तृन तोरी।।
9. हनुमानजी की कृपा के लिए -
सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपनें बस करि राखे रामू।।
10. यज्ञोपवीत पहनने व उसकी पवित्रता के लिए -
जुगुति बेधि पुनि पोहिअहिं रामचरित बर ताग।
पहिरहिं सज्जन बिमल उर सोभा अति अनुराग।।
11. सफल व कुशल यात्रा के लिए -
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदयँ राखि कोसलपुर राजा॥
12. शत्रुता मिटाने के लिए -
बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई॥
13. सभी तरह के संकटनाश या भूत बाधा दूर करने के लिए -
प्रनवउँ पवन कुमार,खल बन पावक ग्यान घन।
जासु ह्रदयँ आगार, बसहिं राम सर चाप धर॥
14. बीमारियां व अशान्ति दूर करने के लिए -
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज काहूहिं नहि ब्यापा॥
15. अकाल मृत्यु भय व संकट दूर करने के लिए -
नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहि
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