Feb 21, 2013

मुनिश्री तरुण सागर जी

मुनिश्री तरुण सागर जी ने कहा है कि धर्म के नाम पर नहीं बल्कि धर्मान्धता के कारण हिंसा का वातावरण बढ़ रहा है। लोगों में जागरूकता आने पर ही इससे मुक्ति मिल सकती है। मुनिश्री ने उन कट्टरवादी धर्मगुरुओं पर निशाना भी साधा जो धर्म के नाम पर बाँटने का काम कर रहे हैं। समाज जब तक संतों के चरण के साथ उनके आचरण को भी नहीं पकड़ेगा तब तक अपेक्षित परिवर्तन संभव नहीं है।

मुनिश्री ने कहा कि कट्टरवादिता का युग समाप्त हो गया है। जो इस तरह की बात कर रहे हैं वे किसी आतंकवादी से कम नहीं हैं। संतों की इच्छा तथा शासन की ताकत मिल जाएँ तो भारत की तस्
वीर को बदला जा सकता है। उन्होंने विनोदपूर्वक कहा कि संत सोचते हैं, लेकिन कर नहीं सकते, इसी तरह राजनीतिक कर तो सकते हैं, लेकिन सोचते ही नहीं हैं।

भारतीय समाज में विदेशी संस्कृति के हावी होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इससे भारतीयजन अंग्रेजी-लर्निंग तो सीख रहे हैं, लेकिन लिविंग इससे नहीं सीखा जा सकता। महिलाओं को राजनीति में आरक्षण के औचित्य से जुड़े सवाल पर कहा कि आरक्षण यदि किसी का उन्नतिकारक हो तो आपत्ति नहीं, लेकिन इससे जाति, धर्म के नाम पर बँटवारा नहीं होना चाहिए।

इसी तरह महिलाओं के राजनीति व अन्य क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय होने से सामाजिक व्यवस्था बिगड़ जाएगी। परिवारों में विघटन के कारणों में एक यह भी है कि महिलाएँ अपना दायित्व छोड़ अन्य क्षेत्र में भी सक्रिय हो रही हैं। चुनाव पद्धति पर मुनिश्री ने कहा कि लोकतंत्र में मतदान महत्वपूर्ण स्तम्भ है और देश में मतदान की अनिवार्यता अवश्य होनी चाहिए। इससे न केवल योग्य प्रतिनिधियों का चयन होगा, बल्कि भ्रष्टाचार व अपराध जैसी सामाजिक बुराइयों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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