Co-Operation Vs Competition : राजीव दीक्षित Rajiv Dixit
माँ बनाती थी रोटी
पहली गाय की
आखरी कुत्ते की
एक बामणी दादी की
एक मेहतरानी बाई की
...
हर सुबह नंदी आ जाता
दरवाज़े पर गुड की डली के लिए
कबूतर का चुग्गा
कीड़ीयों का आटा
ग्यारस,अमावस,पूनम का सीधा
डाकौत का तेल
काली कुतिया के ब्याने पर तेल गुड का हलवा
सब कुछ निकल आता था
उस घर से जहाँ विलासिता के नाम पर
एक रेडिओ और टेबल पंखा था
आज सामान से भरे घर से
कुछ भी नहीं निकलता
सिवाय कर्कश आवाजों के
जब भारत Co-operation से चलता था
तब ना ही कोई भूखा सोता था
ना कोई बच्चा कुपोषण से मरता था,
आज competition का ज़माना है
शहर भरे हैं बर्गर पिज्जे की अन्तराष्ट्रीय दुकानों से
कोई दो वक्त की रोटी के लिए लड़ता है बेईमानों से
कोई भूख से मर रहा है कोई मर रहा है ज्यादा खाने से.....
माँ बनाती थी रोटी
पहली गाय की
आखरी कुत्ते की
एक बामणी दादी की
एक मेहतरानी बाई की
...
हर सुबह नंदी आ जाता
दरवाज़े पर गुड की डली के लिए
कबूतर का चुग्गा
कीड़ीयों का आटा
ग्यारस,अमावस,पूनम का सीधा
डाकौत का तेल
काली कुतिया के ब्याने पर तेल गुड का हलवा
सब कुछ निकल आता था
उस घर से जहाँ विलासिता के नाम पर
एक रेडिओ और टेबल पंखा था
आज सामान से भरे घर से
कुछ भी नहीं निकलता
सिवाय कर्कश आवाजों के
जब भारत Co-operation से चलता था
तब ना ही कोई भूखा सोता था
ना कोई बच्चा कुपोषण से मरता था,
आज competition का ज़माना है
शहर भरे हैं बर्गर पिज्जे की अन्तराष्ट्रीय दुकानों से
कोई दो वक्त की रोटी के लिए लड़ता है बेईमानों से
कोई भूख से मर रहा है कोई मर रहा है ज्यादा खाने से.....
very good article plz published to such good article another.
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