May 19, 2013

बुल्गारिया मे 7000 वर्ष प्राचीन स्वास्तिक चिन्ह मिले हैं

 
बुल्गारिया मे 7000 वर्ष प्राचीन स्वास्तिक चिन्ह मिले हैं| हैं ना आश्चर्यजनक!

स्वस्तिक अत्यन्त प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले स्वस्तिक चिह्व अंकित करके उसका पूजन किया जाता है। स्वस्तिक शब्द सु+अस+क से बना है। ‘सु’ का अर्थ अच्छा, ‘अस’ का अर्थ ‘सत्ता’ या ‘अस्तित्व’ और ‘क’ का अर्थ ‘कर्त्ता’ या करने वाले से है। इस प्रकार ‘स्वस्तिक’ शब्द का अर्थ हुआ ‘अच्छा’ या ‘मंगल’ करने वाला।

स्वस्तिक में एक दूसरे को काटती हुई दो सीधी रेखाएँ होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती हैं। इसके बाद भी ये रेखाएँ अपने सिरों पर थोड़ी और आगे की तरफ मुड़ी होती हैं।

स्वस्तिक की यह आकृति दो प्रकार की हो सकती है। प्रथम स्वस्तिक, जिसमें रेखाएँ आगे की ओर इंगित करती हुई हमारे दायीं ओर मुड़ती हैं। इसे ‘स्वस्तिक’ (卐) कहते हैं। दूसरी आकृति में रेखाएँ पीछे की ओर संकेत करती हुई हमारे बायीं ओर मुड़ती हैं। इसे ‘वामावर्त स्वस्तिक’ (卍) कहते हैं। जर्मनी के हिटलर के ध्वज में यही ‘वामावर्त स्वस्तिक’ अंकित था।

लेकिन यही स्वास्तिक, यदि हम कहें कि बुल्गारिया में 7000 वर्ष पहले इस्तेमाल होता था, तो आपको आश्चर्य होगा| लेकिन यह सत्य है|
उत्तर-पश्चिमी बुल्गारिया के Vratsa नगर के संग्रहालय मे चल रही एक प्रदर्शनी मे 7000 वर्ष प्राचीन कुछ मिट्टी की कलाकृतियां रखी हई हैं जिसपर स्वास्तिक (卍) का चिन्ह बना है| Vratsa शहर के ही निकट Altimir नामक गाँव के एक धार्मिक यज्ञ कुण्ड के खुदाई के समय ये कलाकृतियाँ मिली थी|

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