5:59 AM
एक अंग्रेज़ अधिकारी की डायरी
में 1857 के संघर्ष का वर्णन -
दिल्ली में सड़कें खून से सनी हुई हैं ....
नालियाँ खून से भरी हुई हैं ....
4 लाख से ज़्यादा अंग्रेजों को गाजर-मूली की तरह काट दिया गया है .....
5-6 अंग्रेज़ बड़ी मुश्किल से बचते-बचाते ब्रिटेन पहुँच जाते हैं .....
(उन्होने भी अपने शरीर को कोयला मल कर काला किया है .... ताकि भारतीय उन्हें पहचान ना पाएँ)
पूरा भारत अंग्रेजों के चंगुल से आज़ाद हो गया था ......
कुछ गद्दार घरानों के कारण उन्होने वापस भारत पर कब्जा जमा लिया ......
और वापस आने के बाद उन्होने सबसे पहला काम किया .... एक कानून बनाया ....
1857 की सशस्त्र क्रांति दुबारा ना हो इसके लिए उन्होने "Licensing of Arms act" कानून पारित किया ......
इस कानून के आधार पर बिना लाइसेन्स के कोई भी हथियार नहीं रख पाएगा .....
(ज्ञात रहे कि इसके पहले ऐसा कोई कानून नहीं था)
जो भी व्यक्ति बिना लाइसेन्स के हथियार ले कर पकड़ा जाये, उसके खिलाफ
मुकदमा चलाने और प्रताड़ित करने का अधिकार यह कानून देता था .....
आज "तथाकथित" आज़ादी के 65 वर्षों के बाद भी यही कानून जस-का-तस लागू है .....
और "कुछ" लोगों को लगता है "भारत स्वतंत्र है" .....
वो तो दिख ही रहा है .... फिरंगियों का तंत्र पर भारत स्वतंत्र है .....
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