पित्त-नाश
व बलवृधि के लिए: पीपल के कोमल पत्तों का मुरब्बा बड़ी शक्ति देता है | इसके सेवन से शरीर की
कई प्रकार की
गर्मी-संबंधी बीमारियाँ चली जाती है | यह किडनी की सफाई करता
है | पेशाब
खुलकर आता है | पित्त
से होने वाली
आँखों की जलन दूर होती है | यह गर्भाशय व मासिक
संबंधी रोगों में लाभकारी है | इसके सेवन से गर्भपात का खतरा दूर हो
जाता है |
पीपल
के पत्ते ऐसे नहीं तोड़ना चाहिए | पहले पीपल देवता को प्रणाम करना कि ‘महाराज ! औषध के लिए
हम आपकी सेवा लेते हैं, कृपा
करना |’ पीपल
को काटना नहीं चाहिए | उसमें
सात्विक देवत्व होता है |
मुरब्बा
बनाने की विधि: पीपल के २५० ग्राम लाल कोमल पत्तों को पानी से धोकर
उबाल लें, फिर
पीसकर उसमें समभाग मिश्री व ५० ग्राम
देशी
गाय का घी मिलाकर धीमी आँच पर सेंक लें | गाढ़ा होने पर ठंडा
करके सुरक्षित किसी साफ बर्तन ( काँच की बरनी उत्तम है ) में रख लें |
सेवन-विधि:
१०-१०
ग्राम सुबह-शाम दूध से लें |
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