Mar 10, 2013
** अमोघ शिव कवच **
7:33 AM
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** अमोघ शिव कवच **
।।श्रीगणेशाय नम:।।
विनियोगः- ॐ अस्य श्रीशिवकवचस्तोत्रमंत्रस्य ब्रह्मा ऋषि: अनुष्टप् छन्द:। श्रीसदाशिवरुद्रो देवता। ह्रीं शक्ति:। रं कीलकम्। श्रीं ह्री क्लीं बीजम्। श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थे शिवकवचस्तोत्रजपे विनियोग:।
कर-न्यास: - ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने ॐ ह्लांसर्वशक्तिधाम्ने ईशानात्मने अंगुष्ठाभ्यां नम: । ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने ॐ नं रिं नित्यतृप्तिधाम्ने तत्पुरुषात्मने तर्जनीभ्यां नम: । ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने ॐ मं रुं अनादिशक्तिधाम्ने अघोरात्मने मध्यामाभ्यां नम: । ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने ॐ शिं रैं स्वतंत्रशक्तिधाम्ने वामदेवात्मने अनामिकाभ्यां नम: । ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने ॐ वांरौं अलुप्तशक्तिधाम्ने सद्यो जातात्मने कनिष्ठिकाभ्यां नम: । ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने ॐयंर: अनादिशक्तिधाम्ने सर्वात्मने करतल करपृष्ठाभ्यां नम:।
॥ अथ ध्यानम् ॥
वज्रदंष्ट्रं त्रिनयनं कालकण्ठमरिन्दमम् ।
सहस्रकरमत्युग्रं वंदे शंभुमुपतिम् ॥ १ ॥
।।ऋषभ उवाच।।
अथापरं सर्वपुराणगुह्यं निशे:षपापौघहरं पवित्रम् ।
जयप्रदं सर्वविपत्प्रमोचनं वक्ष्यामि शैवं कवचं हिताय ते ॥ २ ॥
नमस्कृत्य महादेवं विश्वव्यापिनमीश्वरम्।
वक्ष्ये शिवमयं वर्म सर्वरक्षाकरं नृणाम् ॥ ३ ॥
शुचौ देशे समासीनो यथावत्कल्पितासन: ।
जितेन्द्रियो जितप्राणश्चिंतयेच्छिवमव्ययम् ॥ ४ ॥
ह्रत्पुंडरीक तरसन्निविष्टं स्वतेजसा व्याप्तनभोवकाशम् ।
अतींद्रियं सूक्ष्ममनंतताद्यंध्यायेत्परानं
ध्यानावधूताखिलकर्मबन्धश्चरं चितानन्दनिमग्नचेता: ।
षडक्षरन्याससमाहितात्मा शैवेन कुर्यात्कवचेन रक्षाम् ॥ ६ ॥
मां पातु देवोऽखिलदेवत्मा संसारकूपे पतितं गंभीरे
तन्नाम दिव्यं वरमंत्रमूलं धुनोतु मे सर्वमघं ह्रदिस्थम् ॥ ७ ॥
सर्वत्रमां रक्षतु विश्वमूर्तिर्ज्योतिर्मयानंदघन
अणोरणीयानुरुशक्तिरेक: स ईश्वर: पातु भयादशेषात् ॥ ८ ॥
यो भूस्वरूपेण बिर्भीत विश्वं पायात्स भूमेर्गिरिशोऽष्टमूर्ति: ॥
योऽपांस्वरूपेण नृणां करोति संजीवनं सोऽवतु मां जलेभ्य: ॥ ९ ॥
कल्पावसाने भुवनानि दग्ध्वा सर्वाणि यो नृत्यति भूरिलील: ।
स कालरुद्रोऽवतु मां दवाग्नेर्वात्यादिभीतेरखिलाच्च तापात् ॥ १० ॥
प्रदीप्तविद्युत्कनकावभासो विद्यावराभीति कुठारपाणि: ।
चतुर्मुखस्तत्पुरुषस्त्रिनेत्र:
कुठारवेदांकुशपाशशूलकपालढक्काक्
चतुर्मुखोनीलरुचिस्त्रिनेत्र: पायादघोरो दिशि दक्षिणस्याम् ॥ १२ ॥
कुंदेंदुशंखस्फटिकावभासो वेदाक्षमाला वरदाभयांक: ।
त्र्यक्षश्चतुर्वक्र उरुप्रभाव: सद्योधिजातोऽवस्तु मां प्रतीच्याम् ॥ १३ ॥
वराक्षमालाभयटंकहस्त: सरोज किंजल्कसमानवर्ण: ।
त्रिलोचनश्चारुचतुर्मुखो मां पायादुदीच्या दिशि वामदेव: ॥ १४ ॥
वेदाभ्येष्टांकुशपाश टंककपालढक्काक्षकशूलपाणि: ॥
सितद्युति: पंचमुखोऽवतान्मामीशान ऊर्ध्वं परमप्रकाश: ॥ १५ ॥
मूर्धानमव्यान्मम चंद्रमौलिर्भालं ममाव्यादथ भालनेत्र: ।
नेत्रे ममा व्याद्भगनेत्रहारी नासां सदा रक्षतु विश्वनाथ: ॥ १६ ॥
पायाच्छ्र ती मे श्रुतिगीतकीर्ति: कपोलमव्यात्सततं कपाली ।
वक्रं सदा रक्षतु पंचवक्रो जिह्वां सदा रक्षतु वेदजिह्व: ॥ १७ ॥
कंठं गिरीशोऽवतु नीलकण्ठ: पाणि: द्वयं पातु: पिनाकपाणि: ।
दोर्मूलमव्यान्मम धर्मवाहुर्वक्ष:स्थलं दक्षमखातकोऽव्यात् ॥ १८ ॥
मनोदरं पातु गिरींद्रधन्वा मध्यं ममाव्यान्मदनांतकारी ।
हेरंबतातो मम पातु नाभिं पायात्कटिं धूर्जटिरीश्वरो मे ॥ १९ ॥
ऊरुद्वयं पातु कुबेरमित्रो जानुद्वयं मे जगदीश्वरोऽव्यात् ।
जंघायुगंपुंगवकेतुख्यातपादौ ममाव्यत्सुरवंद्यपाद: ॥ २० ॥
महेश्वर: पातु दिनादियामे मां मध्ययामेऽवतु वामदेव: ॥
त्रिलोचन: पातु तृतीययामे वृषध्वज: पातु दिनांत्ययामे ॥ २१ ॥
पायान्निशादौ शशिशेखरो मां गंगाधरो रक्षतु मां निशीथे ।
गौरी पति: पातु निशावसाने मृत्युंजयो रक्षतु सर्वकालम् ॥ २२ ॥
अन्त:स्थितं रक्षतु शंकरो मां स्थाणु: सदापातु बहि: स्थित माम् ।
तदंतरे पातु पति: पशूनां सदाशिवोरक्षतु मां समंतात् ॥ २३ ॥
तिष्ठतमव्याद्भुवनैकनाथ: पायाद्व्रजंतं प्रथमाधिनाथ: ।
वेदांतवेद्योऽवतु मां निषण्णं मामव्यय: पातु शिव: शयानम् ॥ २४ ॥
मार्गेषु मां रक्षतु नीलकंठ: शैलादिदुर्गेषु पुरत्रयारि: ।
अरण्यवासादिमहाप्रवासे पायान्मृगव्याध उदारशक्ति: ॥ २५ ॥
कल्पांतकोटोपपटुप्रकोप-स्फुटाट्
घोरारिसेनर्णवदुर्निवारमहाभयाद्
पत्त्यश्वमातंगघटावरूथसहस्रलक्
अक्षौहिणीनां शतमाततायिनां छिंद्यान्मृडोघोर कुठार धारया २७ ॥
निहंतु दस्यून्प्रलयानलार्चिर्ज्वलत्रि
शार्दूल सिंहर्क्षवृकादिहिंस्रान्संत्रा
दु:स्वप्नदु:शकुनदुर्गतिदौर्मनस
उत्पाततापविषभीतिमसद्ग्रहार्ति
ॐ नमो भगवते सदाशिवाय सकलतत्त्वात्मकाय सर्वमंत्रस्वरूपाय सर्वयंत्राधिष्ठिताय सर्वतंत्रस्वरूपाय सर्वत्त्वविदूराय ब्रह्मरुद्रावतारिणे नीलकंठाय पार्वतीमनोहरप्रियाय सोमसूर्याग्निलोचनाय भस्मोद्धूलितविग्रहाय महामणिमुकुटधारणाय माणिक्यभूषणाय सृष्टिस्थितिप्रलयकालरौद्रावतार
।। ऋषभ उवाच ।।
इत्येतत्कवचं शैवं वरदं व्याह्रतं मया ॥
सर्वबाधाप्रशमनं रहस्यं सर्वदेहिनाम् ॥ ३० ॥
य: सदा धारयेन्मर्त्य: शैवं कवचमुत्तमम् ।
न तस्य जायते क्वापि भयं शंभोरनुग्रहात् ॥ ३१ ॥
क्षीणायुअ:प्राप्तमृत्युर्वा महारोगहतोऽपि वा ॥
सद्य: सुखमवाप्नोति दीर्घमायुश्चविंदति ॥ ३२ ॥
सर्वदारिद्र्य शमनं सौमंगल्यविवर्धनम् ।
यो धत्ते कवचं शैवं सदेवैरपि पूज्यते ॥ ३३ ॥
महापातकसंघातैर्मुच्यते चोपपातकै: ।
देहांते मुक्तिमाप्नोति शिववर्मानुभावत: ॥ ३४ ॥
त्वमपि श्रद्धया वत्स शैवं कवचमुत्तमम्
धारयस्व मया दत्तं सद्य: श्रेयो ह्यवाप्स्यसि ॥ ३५ ॥
॥ सूत उवाच ॥
इत्युक्त्वाऋषभो योगी तस्मै पार्थिवसूनवे ।
ददौ शंखं महारावं खड्गं चारिनिषूदनम् ॥ ३६ ॥
पुनश्च भस्म संमत्र्य तदंगं परितोऽस्पृशत् ।
गजानां षट्सहस्रस्य द्विगुणस्य बलं ददौ । ३७ ॥
भस्मप्रभावात्संप्राप्तबलैश्वर्
स राजपुत्र: शुशुभे शरदर्क इव श्रिया ॥ ३८ ॥
तमाह प्रांजलिं भूय: स योगी नृपनंदनम् ।
एष खड्गो मया दत्तस्तपोमंत्रानुभावित: ॥ ३९ ॥
शितधारमिमंखड्गं यस्मै दर्शयसे स्फुटम् ।
स सद्यो म्रियतेशत्रु: साक्षान्मृत्युरपि स्वयम् ॥ ४० ॥
अस्य शंखस्य निर्ह्लादं ये श्रृण्वंति तवाहिता: ।
ते मूर्च्छिता: पतिष्यंति न्यस्तशस्त्रा विचेतना: ॥ ४१ ॥
खड्गशंखाविमौ दिव्यौ परसैन्य निवाशिनौ ।
आत्मसैन्यस्यपक्षाणां शौर्यतेजोविवर्धनो ॥ ४२ ॥
एतयोश्च प्रभावेण शैवेन कवचेन च ।
द्विषट्सहस्त्रनागानां बलेन महतापि च ॥ ४३ ॥
भस्मधारणसामर्थ्याच्छत्रुसैन्यं
प्राप्य सिंहासनं पित्र्यं गोप्तासि पृथिवीमिमाम् ॥ ४४ ॥
इति भद्रायुषं सम्यगनुशास्य समातृकम् ।
ताभ्यां पूजित: सोऽथ योगी स्वैरगतिर्ययौ ॥ ४५ ॥
।।इति श्रीस्कंदपुराणे एकाशीतिसाहस्त्रयां तृतीये
ब्रह्मोत्तरखण्डे अमोघ-शिव-कवचं समाप्तम् ।।
जय महाकाल !!
जय जय श्री राम !!
जय सनातन सेना.......
7:22 AM
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यहाँ दो पात्र हैं : एक है भारतीय और एक है
इंडियन ! आइए देखते हैं दोनों में क्या बात होती है !
इंडियन : ये शिव रात्रि पर जो तुम इतना दूध चढाते
हो शिवलिंग पर, इस से अच्छा तो ये हो कि ये दूध
जो बहकर नालियों में बर्बाद हो जाता है,
उसकी बजाए गरीबों मे बाँट दिया जाना चाहिए !
तुम्हारे शिव जी से ज्यादा उस दूध की जरुरत देश के
गरीब लोगों को है. दूध बर्बाद करने की ये
कैसी आस्था है ?
भारतीय :
सीता को ही हमेशा अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है,
कभी रावण पर प्रश्न चिन्ह क्यूँ नहीं लगाते तुम ?
इंडियन : देखा ! अब अपने दाग दिखने लगे
तो दूसरों पर ऊँगली उठा रहे हो ! जब अपने बचाव मे
कोई उत्तर नहीं होता, तभी लोग दूसरों को दोष देते हैं.
सीधे-सीधे क्यूँ नहीं मान लेते कि ये दूध चढाना और
नालियों मे बहा देना एक बेवकूफी से ज्यादा कुछ
नहीं है !
भारतीय : अगर मैं आपको सिद्ध कर दूँ
की शिवरात्री पर दूध
चढाना बेवकूफी नहीं समझदारी है तो ?
इंडियन : हाँ बताओ कैसे ? अब ये मत कह
देना कि फलां वेद मे ऐसा लिखा है इसलिए हम
ऐसा ही करेंगे, मुझे वैज्ञानिक तर्क चाहिएं.
भारतीय : ओ अच्छा, तो आप विज्ञान भी जानते हैं ?
कितना पढ़े हैं आप ?
इंडियन : जी, मैं ज्यादा तो नहीं लेकिन काफी कुछ
जानता हूँ, एम् टेक किया है, नौकरी करता हूँ. और मैं
अंध विशवास मे बिलकुल भी विशवास नहीं करता,
लेकिन भगवान को मानता हूँ.
भारतीय : आप भगवान को मानते तो हैं लेकिन भगवान
के बारे में जानते नहीं कुछ भी. अगर जानते होते,
तो ऐसा प्रश्न ही न करते ! आप ये तो जानते ही होंगे
कि हम लोग त्रिदेवों को मुख्य रूप से मानते हैं :
ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी (ब्रह्मा विष्णु
महेश) ?
इंडियन : हाँ बिलकुल मानता हूँ.
भारतीय : अपने भारत मे भगवान के दो रूपों की विशेष
पूजा होती है : विष्णु जी की और शिव जी की ! ये शिव
जी जो हैं, इनको हम क्या कहते हैं - भोलेनाथ,
तो भगवान के एक रूप को हमने भोला कहा है
तो दूसरा रूप क्या हुआ ?
इंडियन (हँसते हुए) : चतुर्नाथ !
भारतीय : बिलकुल सही ! देखो, देवताओं के जब प्राण
संकट मे आए तो वो भागे विष्णु जी के पास, बोले
"भगवान बचाओ ! ये असुर मार देंगे हमें". तो विष्णु
जी बोले अमृत पियो. देवता बोले अमृत कहाँ मिलेगा ?
विष्णु जी बोले इसके लिए समुद्र मंथन करो !
तो समुद्र मंथन शुरू हुआ, अब इस समुद्र मंथन में
कितनी दिक्कतें आई ये तो तुमको पता ही होगा, मंथन
शुरू किया तो अमृत निकलना तो दूर विष निकल आया,
और वो भी सामान्य विष नहीं हलाहल विष !
भागे विष्णु जी के पास सब के सब ! बोले बचाओ
बचाओ !
तो चतुर्नाथ जी, मतलब विष्णु जी बोले, ये
अपना डिपार्टमेंट नहीं है, अपना तो अमृत
का डिपार्टमेंट है और भेज दिया भोलेनाथ के पास !
भोलेनाथ के पास गए तो उनसे भक्तों का दुःख
देखा नहीं गया, भोले तो वो हैं ही, कलश उठाया और
विष पीना शुरू कर दिया !
ये तो धन्यवाद देना चाहिए पार्वती जी का कि वो पास
में बैठी थी, उनका गला दबाया तो ज़हर नीचे
नहीं गया और नीलकंठ बनके रह गए.
इंडियन : क्यूँ पार्वती जी ने गला क्यूँ दबाया ?
भारतीय : पत्नी हैं ना, पत्नियों को तो अधिकार
होता है ..:P किसी गण की हिम्मत होती क्या जो शिव
जी का गला दबाए......अब आगे सुनो
फिर बाद मे अमृत निकला ! अब विष्णु जी को किसी ने
invite किया था ????
मोहिनी रूप धारण करके आए और अमृत लेकर चलते
बने.
और सुनो -
तुलसी स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है, स्वादिष्ट
भी, तो चढाई जाती है
कृष्ण जी को (विष्णु अवतार).
लेकिन बेलपत्र कड़वे होते हैं, तो चढाए जाते हैं भगवान
भोलेनाथ को !
हमारे कृष्ण कन्हैया को 56 भोग लगते हैं,
कभी नहीं सुना कि 55 या 53 भोग लगे हों, हमेशा 56
भोग !
और हमारे शिव जी को ? राख , धतुरा ये सब चढाते हैं,
तो भी भोलेनाथ प्रसन्न !
कोई भी नई चीज़ बनी तो सबसे पहले विष्णु
जी को भोग !
दूसरी तरफ शिव रात्रि आने पर हमारी बची हुई
गाजरें शिव जी को चढ़ा दी जाती हैं......
अब मुद्दे पर आते हैं........इन सबका मतलब
क्या हुआ ???
______________________________
______________________________
विष्णु जी हमारे पालनकर्ता हैं, इसलिए जिन चीज़ों से
हमारे प्राणों का रक्षण-पोषण होता है वो विष्णु
जी को भोग लगाई जाती हैं !
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______________________________
और शिव जी ?
______________________________
______________________________
शिव जी संहारकर्ता हैं, इसलिए जिन चीज़ों से हमारे
प्राणों का नाश होता है, मतलब जो विष है, वो सब
कुछ शिव जी को भोग लगता है !
______________________________
______________________________
इंडियन : ओके ओके, समझा !
भारतीय : आयुर्वेद कहता है कि वात-पित्त-कफ इनके
असंतुलन से बीमारियाँ होती हैं और श्रावण के महीने
में वात की बीमारियाँ सबसे ज्यादा होती हैं. श्रावण के
महीने में ऋतू परिवर्तन के कारण शरीर मे वात
बढ़ता है. इस वात को कम करने के लिए
क्या करना पड़ता है ?
ऐसी चीज़ें नहीं खानी चाहिएं जिनसे वात बढे, इसलिए
पत्ते वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिएं !
और उस समय पशु क्या खाते हैं ?
इंडियन : क्या ?
भारतीय : सब घास और पत्तियां ही तो खाते हैं. इस
कारण उनका दूध भी वात को बढाता है ! इसलिए
आयुर्वेद कहता है कि श्रावण के महीने में (जब
शिवरात्रि होती है !!) दूध नहीं पीना चाहिए.
इसलिए श्रावण मास में जब हर जगह शिव रात्रि पर
दूध चढ़ता था तो लोग समझ जाया करते थे कि इस
महीने मे दूध विष के सामान है, स्वास्थ्य के लिए
अच्छा नहीं है, इस समय दूध पिएंगे तो वाइरल
इन्फेक्शन से बरसात की बीमारियाँ फैलेंगी और वो दूध
नहीं पिया करते थे !
इस तरह हर जगह शिव रात्रि मनाने से पूरा देश
वाइरल की बीमारियों से बच जाता था ! समझे कुछ ?
इंडियन : omgggggg !!!! यार फिर तो हर गाँव हर
शहर मे शिव रात्रि मनानी चाहिए,
इसको तो राष्ट्रीय पर्व घोषित होना चाहिए !
भारतीय : हम्म....लेकिन ऐसा नहीं होगा भाई कुछ
लोग साम्प्रदायिकता देखते हैं, विज्ञान नहीं ! और
सुनो. बरसात में भी बहुत सारी चीज़ें होती हैं लेकिन
हम उनको दीवाली के बाद अन्नकूट में कृष्ण भोग
लगाने के बाद ही खाते थे (क्यूंकि तब वर्षा ऋतू
समाप्त हो चुकी होती थी). एलोपैथ कहता है
कि गाजर मे विटामिन ए होता है आयरन होता है
लेकिन आयुर्वेद कहता है कि शिव रात्रि के बाद गाजर
नहीं खाना चाहिए इस ऋतू में खाया गाजर पित्त
को बढाता है !
तो बताओ अब तो मानोगे ना कि वो शिव रात्रि पर दूध
चढाना समझदारी है ?
इंडियन : बिलकुल भाई, निःसंदेह ! ऋतुओं के खाद्य
पदार्थों पर पड़ने वाले प्रभाव को ignore
करना तो बेवकूफी होगी.
भारतीय : ज़रा गौर करो, हमारी परम्पराओं के पीछे
कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है ! ये इस देश
का दुर्भाग्य है कि हमारी परम्पराओं को समझने के
लिए जिस विज्ञान की आवश्यकता है वो हमें
पढ़ाया नहीं जाता और विज्ञान के नाम पर जो हमें
पढ़ाया जा रहा है उस से हम अपनी परम्पराओं
को समझ नहीं सकते !
जिस संस्कृति की कोख से मैंने जन्म लिया है
वो सनातन (=eternal) है, विज्ञान को परम्पराओं
का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन
बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन
जीते रहें !
हर हर महादेव
_________________
भारतीय शिक्षा पद्धांति के बारे मे जाने !
must click
http://www.youtube.com/
जय महाकाल !
Mar 6, 2013
9:15 AM
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आंवले के मुरब्बे का सूखा प्रतिरूप ही है.
बच्चे को आंवले का मुरब्बा खाना पसन्द नहीं आता लेकिन आंवला कैन्डी बड़े
मजे से खाते हैं. आंवला में पाये जाने वाले अनेक गुण हैं, इसमें विटामिन C
की प्रचुर मात्रा निहित रहती है, आंवला किसी भी तरह से खाया जाय वह हमारे
शरीर के लिये अत्यन्त लाभकारी है, आंवले से पाचन और शरीर की प्रतिरोधक
क्षमता मजबूत होती है. इसका आयुर्वेद औषधि में काफी मात्रा में प्रयोग किया
जाता है. ये आपको तंदुरुस्त रहने में मदद करेगा.
आंवला अक्टूबर से जनवरी तक बाजार में खूब मिलता है, इस समय तो आप ताजा ताजा आंवला अपने रोजाना के खाने में चटनी बनाकर, आंवले फ्राई या सूप में किसी भी तरह से प्रयोग में लाते रहिये. आंवले को विभिन्न तरीके से स्टोर करके रखा जाता है जैसे आंवला पाउडर, आंवले का अचार, आंवले का मुरब्बा, आंवला मीठी चटनी, और आंवला कैन्डी इत्यादि, तो आइये आज हम आंवला की कैन्डी (Herbal Amla Candy) बनाकर तैयार करते हैं ये आंवला कैन्डी कभी भी खायी जा सकती है, आंवला कैन्डी (Amla Sweet Candy) मीठी या मसाले दार आप अपने स्वाद के अनुसार बनाकर तैयार कर लीजिये, तो आइये बनाना शुरू करते हैं आंवला कैन्डी. -Recipe for Amla Candy
आवश्यक सामग्री - Ingredients for Amla Candy
• आंवला (Indian Gooseberry) - 1 किग्रा (30 - 35)
• चीनी - 700 ग्राम ( 3 1/2 कप)
विधि - How to prepare Amla Candy
आंवले को साफ पानी से धो लीजिये.
किसी बर्तन में इतना पानी डालकर उबालने रखिये कि आंवला उसमें अच्छी तरह डुब सके.
उबलते पानी में आंवले डालिये और फिर से उबाल आने के बाद 2 मिनिट तक आंवले उबलने दीजिये, गैस फ्लेम बन्द कर दीजिये और इन आमलों को 5 मिनिट के लिये ढककर रख दीजिये. आंवलों को ठंडे पानी में मत डालिये, पानी को पहले उबलने दीजिये तब आवंले डाले.
उबाले हुये आंवले को चलनी में डालकर पानी हटा दीजिये, ठंडा होने पर इनको चाकू की सहायता से काट कर फांके अलग अलग कर लीजिये और गुठली निकाल कर फैंक दीजिये.
ये आंवले की कली किसी बड़े बर्तन में भरिये और 650 ग्राम चीनी ऊपर से भरकर रख दीजिये, बची हुई 50 ग्राम चीनी (आधा कप) का पाउडर बनाकर रख लीजिये.
दूसरे दिन आप देखेगे सारी चीनी का शरबत बन गया है, आंवले के ट्कड़े उस शरबत में तैर रहे हैं. आप इस शरबत को चमचे से चला कर, ढककर रख दीजिये.
2-3 दिन बाद यह आंवले के टुकड़े शरबत में तैरने के बजाय बर्तन के तले में नीचे बैठ जायेंगे नहीं रहे हैं. चीनी आंवले के अन्दर पर्याप्त मात्रा में भर चूकी है और वह भारी होकर नीचे तले में चले गये हैं.
अब इस शरबत को चलनी से छान कर अलग कर दीजिये और चलनी में आंवले के टुकड़े रह जायेंगे, पूरी तरह से आंवले से शरबत निकल जाय तब इन टुकड़ों को थाली में डाल कर धूप में सुखा लीजिये.
इन सूखे हुये आंवले के टुकड़ों में चीनी का पाउडर मिलाइये. लीजिये ये आंवला कैन्डी (Amla Candy) तैयार हो गई है़, यह कैन्डी आप कन्टेनर में भर कर रख लीजिये और रोजाना 6-7 टुकड़े खाइये, यह स्वाद में तो अच्छी है ही आपकी सेहत के लिये बड़ी फायदे मन्द हैं.
मसालेदार आंवला कैन्डी
आंवला कैन्डी को मसालेदार (Spicy Amla Candy) बनाने के लिये आप सूखी कैन्डी में पिसी हुई चीनी के साथ एक छोटी चम्मच काला नमक, आधा छोटी चम्मच काली मिर्च पाउडर और आधा छोटी चम्मच अमचूर पाउडर मिलाइये. जिन्हें एकदम मीठा पसंद नहीं हो तो वे चटपटी आमला कैन्डी (Spicy Amla Candy) खा सकते हैं|
आर्यावर्त भरतखण्ड संस्कृति
आर्यावर्त भरतखण्ड संस्कृति
आंवला अक्टूबर से जनवरी तक बाजार में खूब मिलता है, इस समय तो आप ताजा ताजा आंवला अपने रोजाना के खाने में चटनी बनाकर, आंवले फ्राई या सूप में किसी भी तरह से प्रयोग में लाते रहिये. आंवले को विभिन्न तरीके से स्टोर करके रखा जाता है जैसे आंवला पाउडर, आंवले का अचार, आंवले का मुरब्बा, आंवला मीठी चटनी, और आंवला कैन्डी इत्यादि, तो आइये आज हम आंवला की कैन्डी (Herbal Amla Candy) बनाकर तैयार करते हैं ये आंवला कैन्डी कभी भी खायी जा सकती है, आंवला कैन्डी (Amla Sweet Candy) मीठी या मसाले दार आप अपने स्वाद के अनुसार बनाकर तैयार कर लीजिये, तो आइये बनाना शुरू करते हैं आंवला कैन्डी. -Recipe for Amla Candy
आवश्यक सामग्री - Ingredients for Amla Candy
• आंवला (Indian Gooseberry) - 1 किग्रा (30 - 35)
• चीनी - 700 ग्राम ( 3 1/2 कप)
विधि - How to prepare Amla Candy
आंवले को साफ पानी से धो लीजिये.
किसी बर्तन में इतना पानी डालकर उबालने रखिये कि आंवला उसमें अच्छी तरह डुब सके.
उबलते पानी में आंवले डालिये और फिर से उबाल आने के बाद 2 मिनिट तक आंवले उबलने दीजिये, गैस फ्लेम बन्द कर दीजिये और इन आमलों को 5 मिनिट के लिये ढककर रख दीजिये. आंवलों को ठंडे पानी में मत डालिये, पानी को पहले उबलने दीजिये तब आवंले डाले.
उबाले हुये आंवले को चलनी में डालकर पानी हटा दीजिये, ठंडा होने पर इनको चाकू की सहायता से काट कर फांके अलग अलग कर लीजिये और गुठली निकाल कर फैंक दीजिये.
ये आंवले की कली किसी बड़े बर्तन में भरिये और 650 ग्राम चीनी ऊपर से भरकर रख दीजिये, बची हुई 50 ग्राम चीनी (आधा कप) का पाउडर बनाकर रख लीजिये.
दूसरे दिन आप देखेगे सारी चीनी का शरबत बन गया है, आंवले के ट्कड़े उस शरबत में तैर रहे हैं. आप इस शरबत को चमचे से चला कर, ढककर रख दीजिये.
2-3 दिन बाद यह आंवले के टुकड़े शरबत में तैरने के बजाय बर्तन के तले में नीचे बैठ जायेंगे नहीं रहे हैं. चीनी आंवले के अन्दर पर्याप्त मात्रा में भर चूकी है और वह भारी होकर नीचे तले में चले गये हैं.
अब इस शरबत को चलनी से छान कर अलग कर दीजिये और चलनी में आंवले के टुकड़े रह जायेंगे, पूरी तरह से आंवले से शरबत निकल जाय तब इन टुकड़ों को थाली में डाल कर धूप में सुखा लीजिये.
इन सूखे हुये आंवले के टुकड़ों में चीनी का पाउडर मिलाइये. लीजिये ये आंवला कैन्डी (Amla Candy) तैयार हो गई है़, यह कैन्डी आप कन्टेनर में भर कर रख लीजिये और रोजाना 6-7 टुकड़े खाइये, यह स्वाद में तो अच्छी है ही आपकी सेहत के लिये बड़ी फायदे मन्द हैं.
मसालेदार आंवला कैन्डी
आंवला कैन्डी को मसालेदार (Spicy Amla Candy) बनाने के लिये आप सूखी कैन्डी में पिसी हुई चीनी के साथ एक छोटी चम्मच काला नमक, आधा छोटी चम्मच काली मिर्च पाउडर और आधा छोटी चम्मच अमचूर पाउडर मिलाइये. जिन्हें एकदम मीठा पसंद नहीं हो तो वे चटपटी आमला कैन्डी (Spicy Amla Candy) खा सकते हैं|
आर्यावर्त भरतखण्ड संस्कृति
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