Feb 22, 2013

पारद शिवलिंग

करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी करोड़ों गुणा ज्यादा फल पारद शिविलिंग की पूजा और दर्शन से प्राप्त होता है।
पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से ही मुक्ति हो जाती है, ऐसा स्वयं महादेव जी ने पारद संहिता के तीसरे अध्याय में कहा है।
पारद जिसे हम पारा के नाम से भी जानते हैं, ए
क तरल पदार्थ है। यह लोहे से 16 गुणा भारी होता है। जरा-सी भी तपिश से पिघल जाता है।
इसे ठोस बनाना और कोई भी रूप देना बहुत ही कठिन है। इसे ठोस बनाने के लिए बहुत से संस्कारों से गुजरना पड़ता है। कोई सिद्ध पुरुष ही इस शुद्ध किये हुए पारे (पारद) को पवित्र शिवलिंग के रूप में परिवर्तित कर सकता है।

ऐसा ही अद्भुत अलौकिक शक्तियों से संपन्न शिवलिंग जालंधर की पावन धरती पर परम पूज्य अवधूत बाबा शिवानंद जी महाराज द्वारा पूजनीय गुरु मां जी एवं ईशान शिवानंद के सान्निध्य में 11 महीने की अनथक तपस्या व मंत्रों द्वारा तैयार किया गया है। भारत वर्ष में भगवान शिव व जगत
जननी मां जगदम्बा जी के अनेक मंदिर व सिद्धपीठ हैं। जालंधर की पावन धरती पर पहले ही पुरातन मंदिर जैसे कि मां अन्नपूर्णा मंदिर,
महासती वृंदा (तुलसी) का मंदिर, सिद्ध शक्तिपीठ श्री देवी तालाब मंदिर मौजूद हैं।

इसी जालंधर की धरती को एक और पावन तीर्थस्थल की सौगात मिली है। यहां पहले से ही स्थित श्री गौरी शंकर मंदिर से संलग्न परिसर
में साधकों के अनुपम सहयोग द्वारा सुंदर मंदिर का निर्माण हुआ है, जिसमें सृष्टिï के सृजनकर्ता भगवान शिव का अवधूत बाबा शिवानंद जी
द्वारा बनाया गया शुद्ध पारे का अलौकिक शिवलिंग ‘शिव गुफा’ में व उन्हीं के द्वारा बनायी गयी जगदंबा जी की अष्टïधातु को भव्य
अलौकिक मूर्ति ‘श्री चक्र’ के रूप में ‘शक्ति गुफा’ में 16 सखियों व 16 नृत्यांगनाओं के साथ विराजमान हैं।

यह विश्व का पहला ऐसा मंदिर है, जहां पर नीचे ‘शिव गुफा’ में शुद्ध पारे से निर्मित अद्भुत शिविलिंग और उसी के ठीक ऊपरी तल ‘शक्ति गुफा’ में मां जगदंबा की अष्टïधातु की भव्यमूर्ति ‘श्री चक्र’ के रूप में स्थित है जिसे ‘मां चक्रेश्वरी देवी’ भी कहते हैं।
पवित्र अलौकिक अद्भुत पारद शिवलिंग के दर्शनों से आए हुए सभी प्रभु भक्तों के पूर्व जन्म में संचित कर्म कटते हैं। वहीं ‘मां चक्रेश्वरी’ के
दर्शनों से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पारद शिवलिंग की पूजा करने से भगवान ब्रह्मïा जी, श्री विष्णु जी व महेश जी की पूजा एक
साथ हो जाती है।

ऐसा कहा गया है कि पारद शिवलिंग के मूल भाग में श्री ब्रह्मïा जी, मध्य भाग में श्री विष्णु जी व अग्रभाग में भगवान शंकर निवास करते हैं।

पारदेश्वर सिद्धपीठ श्री गौरी शंकर मंदिर में स्थित पारद शिवलिंग पर सिर्फ हरिद्वार से लाया गया गंगाजल ही चढ़ाया जाता है, जो कि पवित्र शिवलिंग पर चढऩे के बाद अमृत रूप हो जाता है। पूरी आस्था और निष्ठïा से साधना-अर्चना करने वाले भक्तों को अपने पूर्व जन्मों के कर्मों से मुक्ति मिलती है। ऐसी मान्यता है कि अमृत जल में अनंतशक्ति मौजूद है, जो कि आरोग्यता प्रदान करती है।

‘शिव गुफा’ में स्थित पवित्र ‘पारद शिवलिंग’ व ‘शक्ति गुफा’ में प्रतिष्ठिïत ‘मां श्री श्री ललिता महात्रिपुर सुंदरी’ के स्वरूपों के पास जाना सख्त मना है।
स्नान करने के उपरांत ही पुरुष धोती-कुर्ता व स्त्रियां साड़ी पहन कर मंदिर कमेटी की अनुमति व पुजारी जी की देख-रेख में मूर्ति के पास जाकर दर्शन कर सकती हैं। दोनों ही मंदिर सुबह 5 से दोपहर 12 बजे तक व शाम 4 से रात्रि 10 बजे तक खुले रहते हैं।

यहां पर दीपदान और महारुद्राभिषेक का विशेष महत्व है जिसकी व्यवस्था मंदिर कमेटी द्वारा ही करवाई जाती है।
जालंधर से अमृतसर की ओर बाईपास पर वेरका मिल्क प्लांट के पास, पठानकोट चौक से अमृतसर की तरफ 2 किलोमीटर व
मकसूदां चौक से एक किलोमीटर फोकल ïप्वाइंट की तरफ यह अद्भुत मंदिर भक्तों की आस्था के बड़े दैवीय तीर्थ स्थल के रूप में विकसित हो रहा है।

2 comments:

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