Oct 26, 2013

वप्न दोष

स्वप्न दोष के अनेकों कारण हो सकते हैं ।लैकिन प्रमुख कारणों में अश्लील चिंतन,अश्लील फिल्म देखना व नारी स्मरण मुख्य हैं ।इसके अलावा पेट में कब्ज रहना, नाड़ी तन्त्र की दुर्वलता भी एसी स्थितियाँ पैदा कर सकता है।

स्वप्नदोष और प्रदर दोष की बीमारी जिनको रहती है, दवाओं से नहीं मिटती | दवा में दम नहीं बीमारी मिटाने का .....जब तक आदमी अंतिष्ट ठीक नहीं होता तब तक ये बीमारी रहेगी | और अंतिष्ट ठीक न हो तो शुक्र गायत्री भी बोल सकते है |

ॐ भृगुजाताय विद्महे, दिव्य देहाय धीमहि, तन्नो शुक्र प्रचोदयात् |
ॐ शुक्राय नम: | ॐ शुक्राय नम: |

घर में रात को छत पर चले गये २ - ३ मिनट के लिए अब शुक्र का तारा कौनसा है सबको पता नहीं होगा ना तो सामूहिक रूप से जो कोई शुक्र का तारा है उसको मेरा प्रणाम है | मैं शुक्रवान बनू, वीर्यवान बनू, मेरे में ये तकलीफ न रहे |
ॐ भृगुजाताय विद्महे , दिव्य देहाय धीमहि, तन्नो शुक्र प्रचोदयात् | ॐ शुक्राय नम: ॐ शुक्राय नम:
वो व्यक्ति शुक्रवान होगा |


वप्न दोष
गुठली अलग किए हुए, सूखे आँवलो को कूट-छानकर चूर्ण बना लें। इस आवँला चूर्ण (एक भाग) और पिसी हुई मिश्री या देशी खाँड (दो भाग) मिलाकर सुरक्षित रख लें। इसे रोजाना रात्रि को सोने से आधा घंटे पहले को चम्मच की मात्रा से पानी के साथ लें। लगातार दो सप्ताह तक इसका सेवन करने से स्वप्न दोष प्राय: आराम हो जाता है। जिन्हें स्वप्न दोष न भी हो उनके लिए भी हितकर है। इससे वीर्यविकार जैसे वीर्य का पतला होना, शीघ्रपतन आदि दूर होने के अतिरिक्त रक्त शुध्द होता है। पांडु रोग (शरीर का पीलापन) कब्ज और सिरदर्द में लाभ होता है। नेत्रों पर भी हितकारी प्रभाव पड़्ता है। वीर्यनाश से कमजोर शरीर में वीर्यवृध्दि होकर नयी ताकत आती है और वीर्यरक्षण होता है।
 

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